शहादत
चिन्मय
शुक्ला
हे
वीरजवानों! तुमने अपना फर्ज चुका दिया,
शत्रुवक्ष
पर गाड़ तिरंगा उसका सीना चीर दिया ।
खुद
तिरंगे में लिपटकर पूरे देश को कर्ज दिया
अपने
घर का दीपक देशप्रेम में बुझा दिया ।
बलिदान
हर शहीद का यह देश न भूल पाएगा
पर
नम आँखों से वन्दे मातरम तो गाएगा ।
कल
जब फिर देश पर संकट का मेघ छाएगा
तब
रक्षा हेतु एक और लाल शहीद हो जाएगा।
बेचैन
आँखें राह ताक रही होंगी
और
वह माँ रातभर जाग रही होगी
अब
उस दीन जननी को कौन समझाएगा
कि
सो जा माँ, तेरा
लाल अब आँखें न खोल पाएगा ।
देश
को बाहर के शत्रुओं से बचा लिया
पर
‘घर भेदियों’
से
उसे कौन बचाएगा?
खबर
पढ़ी –
एक
और बेटा इतिहास के पन्नों में खो गया
भारत
माँ का एक और सपूत चिर निद्रा में सो गया ।
चिन्मय
शुक्ला
कक्षा-
10
न्यू
वे सीनियर सैकेण्डरी स्कूल
लखनऊ
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