शुक्रवार, 10 जून 2022

हाइबन

 


बस एक याद

डॉ. पूर्वा शर्मा

इस नए देश में - अनजाने शहर में - आए दो-चार दिन ही हुए थे। लेकिन यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य ने मुझे इतना आकर्षित किया कि यहीं बस जाने का मन होने लगा। परंतु यह बात मैं भी जानती हूँ कि यहाँ बस जाना तो संभव नहीं।

आखिर इस शहर को अलविदा कहने का वक्त आ गया। घरवालों ने मुझसे कहा – पैकिंग कर लो और ध्यान रखना... कुछ छूट न जाए... कुछ रह न जाए!

कुछ समय बाद हम उस देश को छोड़कर निकल पड़े। परंतु सफ़र के दौरान मुझे याद आया कि काफ़ी कुछ वहाँ रह गया है। छूट गया है। वहाँ रह जाने वाले सामानों की फ़ेहरिस्त लंबी थी.....

सागर की लहरों का वह संगीत वहीं छूट गया था जो सुबह-शाम कानों में गूँजा करता था। अथाह जल से भरा वहाँ का सागर शायद कुछ कहने की कोशिश करता था और मैं उसे समझने की कोशिश करती थी उसे मैं थोड़ा समझी, ज्यादा न समझ सकी। उस सागर की कही-अनकही बातें भी वहीं रह गयी थी।

मैं समझती थी कि पानी का रंग तो एक ही होता है परंतु वहाँ मैंने देखा कि सागर कहीं पर नीला तो कहीं हल्का हरा और कहीं-कहीं तो कुछ अलग ही रंग लिए हुए आकर्षित कर रहा था। पानी के वे अलग-अलग रंग मानो आँखों में बस गए और अपनी ओर मुझे खींचते रहे..... पानी के वे सभी रंग भी वहीं रह गए।

उस अनजाने देश के लोगों की अनजानी भाषा जो मुझे नहीं आती थी फिर भी मैं उनके हाव-भाव तथा इशारों के सहारे उनके मन की बात को समझना चाहती थी। उनकी भाषा, उनकी संस्कृति को समझने की वह चाह वहीं छूट गई।

बहुत दिनों के बाद ढेर सारी गोरैयाँ वहाँ एक साथ देखने को मिली थीं, उनका फुदकना और चीं-चीं करते हुए चुग्गा मुँह में भर लेना....उन गोरैयों का झुंड भी वहीं छूट गया था।

पहाड़ों से खेलते बादल भी वहीं रह गए..... अब वैसे बादल पता नहीं कब और कहाँ मिलेंगे? बारिश की बौछारों ने वहाँ मुझे जमकर भिगोया था। तन को तो सुखाकर मैं यहाँ चली आई। लेकिन भीगा हुआ मन तो वहीं रह गया.... छूट गया!

 

दे गया मुझे

वो अंजान शहर

अपनापन।

 


 

डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर हाइबन, गद्य में भी कविता सी तरलता है।बधाई डॉ. पूर्वा जी

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  2. प्रकृति की अनुपम भेंट से आप सबका साक्षात्कार हुआ । आप सब भाग्यशाली है ।

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  3. वाह! सुंदर अनुभव की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई पूर्वा जी।

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  4. वाह! देखिए न! फिर भी कितनी चीज़े आप अपने साथ ले आईं... :-)
    बहुत सुंदर हाइबन! हार्दिक बधाई पूर्वा जी!

    ~सस्नेह
    अनिता ललित

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  6. आपने अपने जीवन में किए हुए अनुभवों को इस हाइफन में बखूबी उभारा है । बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।💐💐

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  7. जगह छूटने पर बहुत कुछ छूट जाता है, भले वह दिखता नहीं। बहुत भावपूर्ण हाइबन। बधाई पूर्वा जी।

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  8. जीवन अनुभवों की मिली जुली पूंजी है

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  9. बहुत खूब, स्मृतियों की सुंदर अभिव्यक्ति..
    साधुवाद 👏👏

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