रविवार, 3 अप्रैल 2022

विशेष

 गीत



भीगीं आँखों की ज़ुबानी

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(पुनीत राजकुमार की याद में....)

अनिल वडगेरि

भीगीं आँखों की ज़ुबानी

सुन ली दर्द की दास्ताँ ।

तेरी ममता की कहानी

जलते दीप के राग सा ।

भीगीं आँखों की ज़ुबानी

सुन ली दर्द की दास्ताँ ।

 

आग दिल में जल रही है

हाल दिल का क्या कहूँ ।

आज खुशियाँ बुझ रही हैं

रोये बिन कैसे रहूँ ।

कैसे दर्द ये मैं सहूँ

 

तारे सारे गिर रहे हैं

चाँद अभी खामोश है ।

बहतीं नदियाँ रुक गयी हैं

प्यास में सागर भी है ।

कैसे दर्द ये मैं सहूँ।

 

अब सबेरा कैसे होगा

खोया सूरज रात में ।

बादलों की काली छाया

सारा आलम बेचैन में ।

कैसे दर्द ये मैं सहूँ



 

अनिल वडगेरि

सरकारी प्रौढ शाला बोलंतिमोगरु

पोस्ट : विट्ला, तालुक : बंट्वाल

जिला : दक्षिण कन्नड – 574243


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