अद्भुत कृति
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
प्रबुद्ध
नारी
समझे
है जग को
न
कहो 'ना री' !
2
खुली
आँखों से
देखती
हैं सपने
सच
भी करें ।
3
रचा
संसार
जन्मे
हैं तुमने ही
राम
कृष्ण भी ।
4
जगदंबे
तू
करुणा
बरसाती
चण्डी
भी तू ही।
5
नव
कलिका
जीवन
की सुगंध
रंग
है नारी ।
6
सुघड़
नारी
खुशियों
की कुंजी है
अमोल
रत्न ।
7
समेटे
चली
छिन्न-भिन्न
सपने
आशा
के मोती।
8
पंख
कटे थे
छूती
आज अम्बर
भरे
उड़ान।
9
जीवनदात्री
पोरती
है संस्कार
दूध
के संग ।
10
जीवनधात्री
प्रथम
शिक्षिका है
सँवारे
मन ।
11
सच्ची
संगिनी
खुशियों
के रंग से
भरे
जीवन ।
12
कहते
माया
दुनिया
में उसका
जादू
है छाया ।
13
न
मानी हार
घुट-घुट
के जीना
नहीं
स्वीकार ।
14
अद्भुत
कृति
पूजित
विमर्दित
दूर्वा
जैसी तू ।
15
तेरी
कथायें
अनगिन
व्यथाएँ
सदानीरा
तू ।
16
भगिनी
सुता
विविध
रूप धरे
धन्य
ही करे ।
17
कोहरा
घना
खोलती
है खिड़की
एक
किरण ।
18
गहन
तम
चन्द्रिका
ही आकर
बाँटे उजाला।
19
जीवन
यात्रा
बनती
संजीवनी
चिर
संगिनी ।
20
स्वयं
ईश्वरी
साकार
ममता है
माँ
रूप तेरा !
डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
एच-604
, प्रमुख हिल्स ,छरवाडा रोड ,वापी
जिला-
वलसाड(गुजरात) 3961
वाह, नारी को परिभाषित करते सभी हाइकु सुंदर!
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार प्रिय अनीता मंडा 💐🙏
हटाएंबहुत खूब ज्योत्सना जी, सुंदर और अर्थपूर्ण हाइकु, बधाई....
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