रविवार, 3 अप्रैल 2022

हाइकु

 


अद्भुत कृति

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

1

प्रबुद्ध नारी

समझे है जग को

न कहो 'ना री' !

2

खुली आँखों से

देखती हैं सपने

सच भी करें ।

3

रचा संसार

जन्मे हैं तुमने ही

राम कृष्ण भी ।

4

जगदंबे तू

करुणा बरसाती

चण्डी भी तू ही।

5

नव कलिका

जीवन की सुगंध

रंग है नारी ।

6

सुघड़ नारी

खुशियों की कुंजी है

अमोल रत्न ।

7

समेटे चली

छिन्न-भिन्न सपने

आशा के मोती।

8

पंख कटे थे

छूती आज अम्बर

भरे उड़ान।

9

जीवनदात्री

पोरती है संस्कार

दूध के संग ।

10

जीवनधात्री

प्रथम शिक्षिका है

सँवारे मन ।

11  

सच्ची संगिनी

खुशियों के रंग से

भरे जीवन ।

12

कहते माया

दुनिया में उसका

जादू है छाया ।

13

न मानी हार

घुट-घुट के जीना

नहीं स्वीकार ।

14

अद्भुत कृति

पूजित विमर्दित

दूर्वा जैसी तू ।

15

तेरी कथायें

अनगिन व्यथाएँ

सदानीरा तू ।

16

भगिनी सुता

विविध रूप धरे

धन्य ही करे ।

17

कोहरा घना

खोलती है खिड़की

एक किरण ।

18

गहन तम

चन्द्रिका ही आकर

बाँटे उजाला।

19

जीवन यात्रा

बनती संजीवनी

चिर संगिनी ।

20

स्वयं ईश्वरी

साकार ममता है

माँ रूप तेरा !

 



डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

एच-604 , प्रमुख हिल्स ,छरवाडा रोड ,वापी

जिला- वलसाड(गुजरात) 3961

3 टिप्‍पणियां:

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