गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

चौपई /जयकरी छन्द

 



लता जगत में विलग, अनूप

ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप

 

सिने - वाटिका  पुष्प  अनेक ।

अति मीठे रव  की पिक एक ।।

नेपथ्य   में    गूँजता     गान 

स्वर-कोकिला, लता है नाम ।।

 

छोटी   बच्ची,  तेरह   साल 

उसने  गाये ,  गीत   कमाल ।।

'महल' फ़िल्म का गाकर गीत।

बनी लता हर जन सुर-मीत।।

 

सौम्य, सरल ,उजले परिधान।

अधरों  पर  पावन  मुस्कान।।

गीत  सुनाती    नंगे    पाँव ।

मात  शारदे वर  की   छाँव।।

 

सात  सुरों   का   पारावार ।

अधर बहाते  पावन   धार।।

गायन से भरती दृग - नीर ।

गाती  मीरा,  सूर , कबीर।।

 

रामचरित   मानस  के छन्द।

गाकर   छलकाती   आनन्द।।

सर्व - धर्म बन  मोहक   माल।

चमकाती  भारत  का   भाल।।

 

पावनता   की  उजली   धूप ।

लता जगत में विलग, अनूप ।।

माँ  शुभदे  का  शुभ  वरदान ।

लता - हृदय   में   हिन्दुस्तान।।

 


ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप

देहरादून

7 टिप्‍पणियां:

  1. भारत रत्न और संगीत महारत्न लता जी के लिए जितना लिकगा जाएगा कम ही रहेगा । फिर भी ज्योत्सना जी ने बहुत अच्छा लिखा है । लता जी को नमन नमन नमन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना को स्थान देने के लिए प्रिय पूर्वा का दिल से आभार!🙏🏼

    जवाब देंहटाएं

अप्रैल 2024, अंक 46

  शब्द-सृष्टि अप्रैल 202 4, अंक 46 आपके समक्ष कुछ नयेपन के साथ... खण्ड -1 अंबेडकर जयंती के अवसर पर विशेष....... विचार बिंदु – डॉ. अंबेडक...