सोमवार, 1 नवंबर 2021

कविता

 



 दीये लगते हैं प्यारे से

डॉ. जयंतिलाल बी. बारीस

दीयों से रोशन संसार

फुलझड़ियों की हो बौछार

रंग-बिरंगा है आकाश

दीयों की जगमग से आज

हँसते चेहरे हर कहीं

दिखते हैं प्यारे-प्यारे से

दीवाली के इस शुभ दिन पर

दीये लगते हैं  प्यारे से।

मुन्ना- मुन्नी गुड्डू-गुड्डी ,

सबके मन में है हँसी-ख़ुशी

बर्फी पेडे गुलाबजामुन पर

नजरें सबकी गड़ी हुईं

बजते बम  अनार पटाखे।

दिखते हैं प्यारे-प्यारे से

दीवाली के इस शुभ-दिन पर

दीये लगते हैं प्यारे से।

मन में ख़ुशी उभरती है

चेहरों पर खुशी चमकती है

इस प्यारे  त्यौहार में देखो

आँखों में  ख़ुशी  झलकती है

आओ मिलकर  हम सब बाँटें

अब हँसी-ख़ुशी  घर - घर में

दीवाली के इस शुभ-दिन पर

दीये लगते हैं प्यारे से।

 



डॉ. जयंतिलाल बी. बारीस

असिस्टेंट प्रोफेसर

आर.के. देसाई कॉलेज ऑफ एजुकेशन

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