माँ
तू नाराज मत होना.....
डॉ.
विमुख पटेल
इस
दिवाली मैं नहीं आ पाऊँगा
तेरी
मिठाई मैं नहीं खा पाऊँगा
दिवाली
है!
तुझे
खुश दिखना होगा
‘शुभ लाभ’ तुझे खुद ही लिखना होगा।
तू
जानती है न !
यह
पूरे देश का त्योहार है
यह
भी कि
तेरा
बेटा पत्रकार है।
मैं
जानता हूँ,
पड़ोसी
के बच्चे पटाखे जलाएँगे
तोरणों
से अपने घर सजाएँगे
मैं
तुझे बहुत याद आऊँगा
मेरे
न आने की शिकायत भी
तुझे
बहुत होगी।
फिर
भी
मैं
जहाँ भी रहूँगा मेरे साथ तेरा प्यार होगा
तू
जानती है न माँ ! तेरा बेटा पत्रकार है।
माँ
मैं जानता हूँ तू भोली है
तुझे
मिठाइयों में फर्क करना नहीं आता
मोलभाव
करने का तर्क नहीं आता
ऐसे
में बाजार भी तुझे लेकर कौन जाएगा।
तेरी
सीख है -
हर
घर मेरा परिवार है
तू जानती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है।
माँ
मैं जानता हूँ-
बुआ
- दीदी के घर प्रसाद कौन छोड़ेगा,
अब
कठोर नारियल घर में कौन फोड़ेगा
तू
गर्व कर माँ!
कि
लोगों की दिवाली अपनी अबकी होगी,
तेरे
बेटे की कलम की दिवाली सबकी होगी।
लोगों
की खुशी में खुशी मेरा त्योहार है
तू
जानती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है…
डॉ.
विमुख पटेल
असिस्टेंट
प्रोफेसर
आर.के.देसाई
कॉलेज ऑफ एजुकेशन
वापी
बहुत शानदार कविता सर् जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता। बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव सँजोए कविता हेतु हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन, हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएं