सोमवार, 1 नवंबर 2021

कविता

 


एक दीया…

गौतम कुमार सागर

 

शरद ऋतु के थाल में

एक दीया शांत-सा

अमावस की रात में

एक दीया चाँद-सा।

 

पुष्पकली की पंखुड़ी

ओस से झिलमिल हुई

पिया का संदेश पा

हृदय में रौनक हुई।

 

गेरुआ रंग आस का

मन का आँगन लिपा

निराशा की धूल झाड़

जो कोने में है छिपा।

 

प्रकृति रचित पालकी

नव ऋतु की वधू आई

भेंट स्वर्णिम प्रेम का

माँगती मुँह दिखाई।

 

दीप का संदेश यह

आँधियाँ जो सौ चलें

देह मिटे या रहे

प्राण की तो लौ जले।

 

हर वरदान में है वेदना

हर वेदना वरदान है

राम को वनवास ने

बनाया भगवान है।

 

दीप बन, शोला नहीं

कि घर हज़ारों का जले

भाव रूपी तेल भर

दीया प्यार का जले।

 

एक गीत उमड़ पड़ा

अतुकान्त एकांत-सा

शरद के थाल में

एक दीया है चाँद-सा।



 

गौतम कुमार सागर

मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा

वड़ोदरा

3 टिप्‍पणियां:

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