रविवार, 17 अक्तूबर 2021

कविता

 



1.

लाइट-हाऊस

अनिता मंडा

तुम्हारा मन शुद्ध है

मधुमक्खियों द्वारा बनाये गए शहद की तरह

 

तुम्हारे सपने आकाश में टिमटिमाते सितारे हैं

जो अँधेरी रात को भी

खूबसूरती से सजा देते हैं

 

फूलों की तरह महकती है

तुम्हारी वफ़ादारी

उससे भी सुंदर बात कि

वो कभी मुरझाती भी नहीं

 

घौंसले से दूर जाते पक्षी को भरोसा रहता है

जब दाना चुगकर आएगा

पेड़ सलामत रखेगा उसका आशियाना

वही तसल्ली मिलती है तुमसे

 

हर मुसीबत का हल जैसे

जादू की पुड़िया बनाकर जमा कर रखा हो तुमने

 

समुद्र में भटके हुए मुसाफ़िरों को

लाइट हाऊस दिखाता है रास्ता

वैसे ही मुझे चाहिए

तुम जैसे लाइट हाऊस

*

 

2.

डायरी

 

जो नहीं कहा गया तुमसे

वो मैंने डायरियों में लिखा

 

कुछ वक़्त बाद

तुम बनकर पढ़ा

 

इस तरह मैंने मान लिया

कि तुमने मुझे सुन लिया

 

मान लेने भर से ही

कितने घाव सो जाते हैं गहरी नींद

और फिर भागते रहते हैं हम उन आवाज़ों से

जिनसे लगता है

जाग उठेगी कोई पीड़ा

हृदय कभी दर्द से रीता नहीं होता

बस भूलना होता है हर पीड़ा को

जबरन

अनसुनी करनी होती हैं आवाज़ें

 

यही है जीने का ढब

अनसुना करो

अनदेखा करो

यही हुनर तो तुममें भी है न!


अनिता मंडा

दिल्ली

4 टिप्‍पणियां:

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