दशहरा
अंदर
का रावण मर जाए
तो
दशहरा
सद्गुण
की सीता घर आए
तो
दशहरा
आसुरी
प्रवृत्ति के
विषैले
वृक्ष हैं जितने
राम
की आँधी में ठह जाएँ
तो
दशहरा
पौरुष
रूप पवनपुत्र की
अग्नि
की ज्वाला में
पापों
की लंका जल जाए
तो
दशहरा
शोषक
के नाभिकुंड में
जो
पीयूष छुपा है
जन-जन
को वह मिल जाए
तो
दशहरा
राम-भरत-सा
भाईचारा
हर
भाई में उपजे नित
आँगन
की दीवारें ढह जाए
तो
दशहरा
छुआ
छूत जात-पाँत
ये
सब अंधेरे मन के
शबरी
बेर रघुवर खाएँ
तो
दशहरा
वही
चरण है राम चरण
जो
उद्धारक अहिल्या का
नारी
का सम्मान लौट आए
तो
दशहरा
जीवन
के भव सागर में
राम
नाम का लिए सहारा
हर
हृदय का पत्थर तर जाए
तो
दशहरा
गौतम
कुमार सागर
मुख्य
प्रबंधक,
बैंक ऑफ बड़ौदा
वड़ोदरा
शोषक के नाभिकुंड में
जवाब देंहटाएंजो पीयूष छुपा है
जन-जन को वह मिल जाए
तो दशहरा
बहुत खूब गौतम कुमार सागर जी, हार्दिक बधाई!