शनिवार, 11 सितंबर 2021

चौपाई

 



माँ प्रदत्त हिंदी अति प्यारी

डॉ. जयंतिलाल बी. बारीस

हिंदी अत्युत्तम भाषा है।

जन-जन की यह अभिलाषा है।।

बहुत लोचपूर्ण मर्यादित।

सकल विश्व पर यह आच्छादित।।

 

बहुत मधुर यह रम्य सुरीली।

कान्हा की यह प्रीति छवीली।।

सीता माता का उर-आँगन।

परम विनीत पुनीत सुहावन।।

 

रामचन्द्र की यह बोली है।

मधु भाषाओं की टोली है।।

अमृत वचन छिपे इसमें हैं।

महनीयों के हृदय रमी है।।

 

देवलोक की यह भाषा है।

जननी की प्रिय परिभाषा है।।

भाग्यवती सम्मोहक शीला।

सभी रसों से पूर्ण सुशीला।।

 

छंदवद्ध निर्बन्ध रसायन।

सदा अलंकृत  शिव रूपायन।।

हिंदी नाम सुलोचन शुभदा।

सहज भावमय स्नेह संपदा।।

 

वीर-करुण रस की अभिलाषी।

शांत रसिक पावन आकाशी।।

जय हो जय हो जय हो हिंदी।

सकल विश्व-मस्तक की बिंदी।।

 

अमर अनंत शिरोमणि श्रीधर।

हिंदी सहज काव्य मधु कविवर।।

हिंदी में कर जीवन यापन।

हिंदी से पाओ उच्चासन।।

 

हिंदी करती शंखनाद है।

हिंदी में ही हंसनाद है।।

हिंदी भाषा सिंहनाद है।

इस भाषा में विश्वनाद है।।


 

डॉ. जयंतिलाल बी. बारीस

असिस्टेंट प्रोफेसर

आर.के.देसाई कॉलेज ऑफ एज्युकेशन

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