सोमवार, 16 अगस्त 2021

विचार स्तवक

 


कला के माध्यम से व्यक्ति खुद को उजागर करता है, अपनी वस्तुओं को नहीं।

          –  रवीन्द्रनाथ टैगोरे

लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो घोड़े से पूछो, जिसके मुँह  में लगाम है।

          –  धूमिल

लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अन्दर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे ?

–  प्रेमचंद

मैं अपने मस्तिष्क में किसी को गंदे पैरों से चलकर नहीं आने दूँगा।

          –  महात्मा गाँधी

जैसे ही आप खुद पर भरोसा करेंगे, आप जान जायेंगे कि कैसे जीना है।

–  गेटे

महत्वपूर्ण बात यह है कि आप सवाल पूछना बंद न करें।

–  आल्बर्ट आइंस्टीन

हम जीविका उससे चलाते हैं, जो हमें मिलता है ; परंतु हम जीवन उससे बनाते हैं, जो हम देते है।

–  विंस्टन चर्चिल

वात्सल्य से दाम्पत्य पूर्णता पाता है।बिना वात्सल्य दाम्पत्य पुष्प विहीन पौधे की तरह होता है। जिस प्रकार पौधे में पुष्प आ जाने पर उसकी सुंदरता अगणित हो जाती है, वृक्ष में फल आ जाने पर धरती पर उसका अंकुरित होना सार्थक हो जाता है, ठीक उसी प्रकार वात्सल्य से दाम्पत्य गौरवान्वित होता है।     

डॉ. सुरंगमा यादव

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