कला के
माध्यम से व्यक्ति खुद को उजागर करता है, अपनी
वस्तुओं को नहीं।
–
रवीन्द्रनाथ टैगोरे
लोहे का
स्वाद लोहार से मत पूछो घोड़े से पूछो, जिसके
मुँह में लगाम है।
–
धूमिल
लिखते तो वह
लोग हैं,
जिनके अन्दर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग-विलास को
जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे ?
– प्रेमचंद
मैं अपने
मस्तिष्क में किसी को गंदे पैरों से चलकर नहीं आने दूँगा।
–
महात्मा गाँधी
जैसे ही आप
खुद पर भरोसा करेंगे, आप जान जायेंगे कि
कैसे जीना है।
– गेटे
महत्वपूर्ण
बात यह है कि आप सवाल पूछना बंद न करें।
– आल्बर्ट आइंस्टीन
हम जीविका
उससे चलाते हैं, जो हमें मिलता है ; परंतु हम जीवन उससे बनाते हैं, जो हम देते है।
– विंस्टन चर्चिल
वात्सल्य से
दाम्पत्य पूर्णता पाता है।बिना वात्सल्य दाम्पत्य पुष्प विहीन पौधे की तरह होता
है। जिस प्रकार पौधे में पुष्प आ जाने पर उसकी सुंदरता अगणित हो जाती है,
वृक्ष में फल आ जाने पर धरती पर उसका अंकुरित होना सार्थक हो जाता
है, ठीक उसी प्रकार वात्सल्य से दाम्पत्य गौरवान्वित होता
है।
– डॉ. सुरंगमा यादव
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