त्योहारों
की लड़ियाँ
डॉ.
पूर्वा शर्मा
देखो!
देखो! सावन है आया
त्योहारों
की लड़ियाँ लाया,
धरा
सजी है धानी-धानी
लुटा
रहे मेघ बूँदें सयानी,
हरिशयनी
एकादशी जो आई
वर्षा
ऋतु की छटा है छाई,
शाखों
पर सज उठे हैं झूले
शिव
चरणों में दुःख-दर्द भूले,
पनपे
पादप धरा भीगी-नहाई
देखो
अमावस हरियाली है लाई,
गूँजते
फिज़ाओं में कजली गीत
सखियाँ
मनाएँ हरियाली तीज,
पंचमी
को दर्शन देते नाग देवता
अगस्त
पंद्रह मिली थी स्वतंत्रता,
छाया
भारत में अब चैनो अमन
लहराता
तिरंगा करे वीरों को नमन,
रक्षाबंधन
पर सजती कलाई
नेह
बंधन में बंधे बहन-भाई,
मटकी
फोड़े फिर दही चुराए
अष्टमी
पर कान्हा मन लुभाए,
इतने
सारे त्योहार हैं मनाते
पूरे
सावन हम खुशियाँ लुटाते।
डॉ.
पूर्वा शर्मा
वड़ोदरा
वाह, सभी श्रावणी त्योहार याद कर लिए कविता के माध्यम से। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता प्रिय पूर्वा जी।
जवाब देंहटाएंबरसात और सावन के संगम पर आए उत्सव त्यौहार और आज़ादी दिवस का बिगुल बजाती खूबसूरत कविता । बहुत खूब,बधाई और आशीर्वाद पूर्वा ।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर कविता..Ma'am
जवाब देंहटाएंआपने तो एक ही कविता रुपी थाली में सम्पूर्ण श्रावणी त्योहार को सुंदर फूलों की तरह सजाकर और स्वतंत्रता की बात करके देश भक्ति के रंग को भी बिखे़र दिया । बहुत ही सुन्दर..।
आपने तो श्रावण मास में ढ़ेर सारे त्योहारों की बूँदें बरसा दीं। बहुत सुंदर कविता। हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति , हार्दिक बधाई!
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