शुक्रवार, 28 मई 2021

कविता

 


हम पक्षी  हैं प्यार के

त्रिलोक सिंह ठकुरेला


नभ को भी  छू लेने वाले,

हम पक्षी हैं प्यार के ।

हमें न विचलित कर पाएँगे

संकट  इस संसार के ।। 

 

हम हैं अटल इरादे वाले,

बढ़ते जाते शान से ।

जब मिल गाते  गूँजे यह जग

अपनेपन  के गान से ।


हमने सीखे मंत्र जीत के,

 शब्द    भाये हार के ।

हमें न विचलित कर पाएँगे

 संकट इस  संसार के ।।

 

हमें न मन में थोड़ा भी भय ,

मन में अति उल्लास है 

बाधाएँ आए तो आए ,

अपनी  मंजिल पास है ।।

 

हम न यहीं रूक जाने वाले,

हम उत्सुक उस पार के ।

हमें न विचलित कर पाएँगे

संकट इस संसार के ।। 

 

तेरा- मेरा , निजी-पराया

हुआ न हमसे  भूल से ।

भेद मिटाकर प्यार लुटाया

उपवन के हर फूल से ।

 

हम  प्रेमी  जूही, चम्पा,

गेंदा, गुड़हल, कचनार के ।

हमें न विचलित कर पाएँगे

संकट इस संसार के ।।


त्रिलोक सिंह ठकुरेला  

बंगला संख्या-99,

रेलवे चिकित्सालय के सामने,

आबू रोड-307026,

जिला-  सिरोही (राजस्थान )

4 टिप्‍पणियां:

  1. सहज प्रवाह का सुंदर,प्रेरक गीत।बधाई ठकुरेला जी।

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  2. "हमें न विचलित कर पाएँगे संकट इस संसार के
    हम पक्षी हैं प्यार के"
    वाह.....बहुत ही सहज एवं सुन्दर रचना... 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना।
    हार्दिक बधाई आदरणीय भाईसाहब।

    जवाब देंहटाएं

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