खुशीपुर
का सफ़र
पासपोर्ट,
वीज़ा, टिकट
सब जारी है....
सफर की पूरी
तैयारी है....।
छोटा भाई
पेटी बाँध,
अदब से बोले-
‘आई सफर-इंग,
टू खुशीपुर।’
मोटा भाई क्यों पीछे रहते
डबल अदब से
बगल से बोले-
‘ई सफरिंग इन होल वर्ल्ड,
एन्ड इन खुशीपुर।’
सारी सच्चाई हुई बखान
सभी सफर में,
सभी सफरिंग....
मन्ज़िल सबकी
एक खुशीपुर,
जेब में सबके
पते हज़ार...!
हाय! री किस्मत!
खुशी पुकारे-
‘मुझको ढूँढें
गली बाज़ार,
मैं घर पर बैठी
देखूँ बाट...!!
कैनेडा
एक और सुंदर अंक। आदरणीया पूर्वा जी को बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को स्थान देने के लिए धन्यवाद!
सुंदर,सहज रोचक बाल कविता।प्रीति जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भैया!!
हटाएं'खुशीपुर का सफ़र' सुन्दर कविता...🙂🙏
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद!
हटाएंसुन्दर कविता प्रीति जी... हार्दिक बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ज्योत्स्ना जी!!
हटाएंप्रीति अति सुंदर बाल कविता रची है आपने बधाई हो।
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