शुक्रवार, 28 मई 2021

मुकरियाँ

 



अमीर खुसरो

1

नित मेरे घर आवत है

रात गए फिर जावत है

फसत अमावस गोरी के फंदा

क्या सखि साजन ? ना सखि चन्दा !

2

वो आवै तो शादी होय

उस बिन दूजा और न कोय

मीठे लागे उसके बोल

ऐ सखि साजन ? ना सखि ढोल !

 

भारतेन्दु

3

मुँह जब लागे तब नहिं छूटे

जाति मान धन सब कुछ लूटे

पागल करि मोहिं करे खराब

क्यों सखि साजन? नहीं शराब !

 

त्रिलोक सिंह ठकुरेला

4

जब-जब आती दुःख से भरती

पति के रुपये पैसे हरती

उसकी आवक रास न आई

क्या सखि, सौतन ? ना, महँगाई !

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