माँ तेरे जैसा स्नेह मुझे जीवन मे फिर से मिला नहीं ।
मेरी छोटी- सी चोटों को,
वो
धीरे- धीरे सहलाना
कितना प्यारा सा लगता था,
रानी-सी बिटिया कहलाना ,
हृदय के छाले फूटे-फटे,
किसी ने कभी भी सिला नहीं ।
माँ तेरे जैसा स्नेह मुझे
जीवन मे फिर से मिला नहीं ।
मैं
छोटी- छोटी बातों पर,
आँसू
रे खूब बहाती थी,
फिर तू ही चुपके से आकर
माँ मुझको मौन कराती थी
अब तो हर क्षण ही है रूठा रे मनवाना मन क़ा मिला नहीं !
माँ
तेरे जैसा स्नेह मुझे
जीवन मे फिर से मिला नहीं ।
जिस घर मे लड़की पलती है, उसका तो वो भी
गेह नहीं
जहाँ मेहँदी के पाँव
धरे,
माँ जैसा उस घर स्नेह नहीं
माँ री मैं पराई हो चली, पर तुझको कुछ भी गिला नहीं !
माँ तेरे जैसा
स्नेह मुझे
जीवन मे फिर से मिला नहीं ।
माँ बनकर ही इस औरत ने आँचल तले अमृत पाय…
माँ बनकर ही इस औरत ने आँचल तले अमृत पाया है
माँ की ममता का रस पाने
भगवान धरा पर आया है !
वह फूल कितना अभागा रे,
तेरी छैय्या जो खिला नहीं ।
माँ तेरे जैसा
स्नेह मुझे
जीवन मे फिर से मिला नहीं ।
2. तुमको तन -मन सौंपा था
1
तुमको तन -मन सौंपा था ।
तब गाती ,
बलखाती थी।।
उर -सागर गहरे
पानी ।
पंकज खूब खिलाती थी।।
2
छल बनकर तुम ही मेरी ।
आँखों को छलकाते हो ।।
हास छीनकर अधरों का ।
बस आँसू ढुलकाते हो ।।
3
धरम -करम से उजली थी।
अपाला ऋषि कुमारी थी ।।
देह रोग से
त्याग दिया ।
ये पीड़ा घन -भारी थी ।।
4
मन
कब काँपा पिय तेरा ।
आँखें तूने
ही फेरी ।।
सघन-विपिन में छोड़ दिया।
दमयंती मैं थी
तेरी ।।
5
इंद्र छले पल में मुझको ।
तेरा दिल भी कब सीला?
कैसा ऋषि स्वामी मेरा,
युगों करा था पथरीला !!
6
मै
भोली तुझे बुलाया ।
कुंती का कौतूहल था ।।/
सपन बहाया था जल में ।
तुझ पर कब कोई हल था?
7
आदर्शों की हवि तुम्हारी।
सिया -सपने जले सारे
।।
सागर नें तज दी
सीपी ।
निर्जन में
मोती धारे ।।
8
पापी लीन
रहा देखो ।
मेरे केशों को
खींचा ।।
माँग भरी मेरी
जिसने ।
सर उसका क्यों था नीचा ?
9
हिय
झाँका होता मेरा ।
इक ऋतु ही उसमें रहती ।।
बुद्ध पार करे भव सागर ।
यशोधरा नद- सी बहती ।।
10
ऋषि -मुनि राजा रे मन
के ।
धरम-करम तप ध्यान किया।।
नारी
मन गहरे दुख
का ।
तूनें पिया न मान
किया।।
11
योग -भोग ,जागे- भागे।
बनों कभी तो आभारी ।।
तेरे
कुल के अंकुर की ।
मूल सभी मैनें धारी ।।
ज्योत्स्ना प्रदीप
जालंधर
पंजाब 14403
अति सुंदर!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार प्रिय पूर्वा जी मेरी रचनाओं को यहाँ स्थान देने के लिए!
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