सोमवार, 8 मार्च 2021

विचार स्तवक

 





नारी को अबला कहना उसका अपमान करना है । – महात्मा गाँधी


यदि कहीं कठोर अत्याचार और दुर्व्यवहार के बदले में भी स्नेह और प्रेम हो सकता है, तो वह स्त्रियों में हो सकता है ।  शरतचंद्र


मैं किसी समुदाय की प्रगति उस समुदाय में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति से मापता हूँ । – बाबासाहब आंबेडकर    


हम प्राचीन भारत की नारियों को आदर्श मानकर ही नारी का उत्थान और सशक्तिकरण कर सकते हैं । – स्वामी विवेकानंद


भागे न क्यों हमसे भला, फिर दूर सारी सिद्धियाँ ।

पाती स्त्रियाँ आदर जहाँ, रहती वहीं सब सिद्धियाँ ।। – मैथिलीशरण गुप्त


सुमन मूक सौन्दर्य और नारियाँ सवाक सुमन है । – दिनकर


स्त्री पृथ्वी की भाँति धैर्यवान है, शांति संपन्न है, सहिष्णु है ।  प्रेमचंद  

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