देश
की शान है हिन्दी
कश्मीर
से कन्याकुमारी तक फैली है हिंदी।
देश
के हर कण-कण में बसी है हिंदी।
राष्ट्रीय
एकता की सीढ़ी है हिंदी।
देश
को विकसित करने की छड़ी है हिंदी।
देश
के उद्धार की कड़ी है हिंदी।
चाय
वाले से प्रधानमंत्री होने की सीढ़ी है हिंदी।
फिर
भी सालों से नेताओं से छली है हिंदी।
देश
की लाड़ली लचीली भाषा है हिंदी।
देश
के शान अभिमान की भाषा है हिंदी।
कोटि-कोटि
जन-जन की भाषा है हिंदी।
ढाई
लाख से अधिक शब्दगामिनी है हिंदी।
सुर, तुलसी, कबीर, रैदास की भाषा
है हिंदी।
बॉलीवुड
में गरीब से अमीर होने की कड़ी है हिंदी।
फिर
भी,
अस्तित्व हेतु आज भी संघर्ष-रत है हिंदी।
देश
की राजनीति के दलदल में फँसी है हिंदी।
कहने
को तो है देश की राष्ट्रभाषा है हिंदी।
पर, क्या वास्तव में राष्ट्रभाषा है! हिंदी!
डॉ.दिलीप
मेहरा
आचार्य
स्नातकोत्तर
हिंदी विभाग
वल्लभ
विद्यानगर,गुजरात
डॉ.दिलीप मेहरा जी को सुन्दर कविता के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता,डॉ०दिलीप मेहरा जी को बधाई।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंहिन्दी पर बहुत बढ़िया कविता,डॉ०दिलीप मेहरा जी को बहुत-बहुत बधाई।