गुजरात
दिवस
डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
भोर
उमंगों से भरे , सुखद, सुहानी रात
।
सबसे
न्यारा-सा लगे, यह प्यारा गुजरात ।।
सोमनाथ
करते कृपा , सभी झुकाते शीश।
मोह
लिया मन आ बसे, स्वयं द्वारिकाधीश ।।
सत्य, अहिंसा, रामधुन, देते मिश्री
घोल ।
भारत
माता को दिये, रत्न बड़े अनमोल ।।
अलग-अलग
रजवाड़ियाँ , अहम भरा संसार ।
सबको
भारत रूप में , जोड़ गए सरदार।।
लौह
पुरुष उनको कहूँ , भारत रत्न ललाम।
आओ
सब मिलकर करें , शत-शत उन्हें प्रणाम ।।
अमरीका,
आस्ट्रेलिया, आओ तो जग घूम ।
खूब
मिले सब ओर ही, अब गरबे की धूम ।।
हीरा
दमके,
बाँधनी, चनिया शीशेदार ।
सबके
मन को मोहती, पहन पटोला नार।।
नरसी,
मीरा अनवरत, बहे अमिय रस धार ।
‘स्नेह रश्मि’ से हो गया, काव्य–जगत
उजियार ।।
गिर-कानन
सब सज गए,
मिटने लगा अँधेर ।
जन-जन
का मन मोहता, यह गुजराती शेर ।।
प्यारी
है ,
प्यारा जिसे, सारा हिन्दुस्तान ।
शब्दों
में करना कठिन, इस धरती का गान ।।
डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
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