बुधवार, 30 अप्रैल 2025

तेवरी

 


तो बहुत ग़लत हो सकता है......

डॉ. घनश्याम बादल

अगर ग़लत को ग़लत कहा तो,बहुत ग़लत हो सकता है,

साथ सही के अगर चलोगे , बहुत ग़लत हो सकता है ।

 

ये मौसम बदला-बदला लगता, घर आए भगवान नए,

इनके बारे कुछ बोला, तो बहुत ग़लत हो सकता है।

 

जो ये कहते सुनते जाओ, बस इनका सत्कार करो,

कर्मों का चिट्ठा जो खोला, तो बहुत ग़लत हो सकता है।

 

देखो उनके धवल वस्त्र तुम, मत अंदर झांको देखो जी,

अंदर का गर किस्सा खोला, तो बहुत ग़लत हो सकता है।

 

मत समझो तुम भगवान स्वयं को, तेरे हैं भगवान यह,

वादों को अगर सच से तौला, तो बहुत ग़लत हो सकता है।

 

इनके चंदा,  इनके सूरज,  इनके नदिया , सागर सारे,

'बादल' बन गर इन्हें टटोला, तो बहुत ग़लत हो सकता है।

 


'बादल'

डॉ. घनश्याम बादल

215, पुष्परचना कुंज,

गोविंद नगर पूर्वाबली

रुड़की - उत्तराखंड - 247667

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