कलरव
डॉ. पूर्वा
शर्मा
एक व्यस्त शाम
की बेहद व्यस्त शहरी सड़क... हरदम गाड़ियों का शोर … भागती ही रहती है यहाँ ज़िंदगी....!
लगता है कि जीवन एक तेज़ दौड़ है जो जल्दी ही ख़त्म होने वाली है । इस भागा-दौड़ी
और वाहनों के शोर में तो कोई प्राकृतिक नज़ारा भला कहाँ देखने को मिल सकता है? लेकिन
इस गोधूलि बेला में वाहनों के शोर को चीरता हुआ एक मधुर कलरव सुनाई दिया। लगा कि
जैसे यह ट्रैफ़िक-शोर थम-सा गया है। सड़क की दूसरी तरफ़ नज़र घुमाई तो देखा कि सड़क
के किनारे लगे कतारबद्ध बरगद और उसके पास की एक बिल्डिंग के बड़े परिसर में पुराने बरगद
एवं नीम के पेड़ों पर पंछियों के अनेक झुंड मँडरा रहे थे । पंछियों के इन झुंड में
कई तरह की चिड़ियाँ, कबूतर एवं बहुत सारे तोते शामिल थे । एक साथ इतनी प्यारी
चीं-चीं … तथा मधुर पंछी गान, बड़े प्यार से उनके घर लौटने की खुशी को व्यक्त कर रहा
था । अहा ! इन पंछियों के गीत ने इस बात को भुला ही दिया कि यह शहर की सबसे व्यस्त
सड़क है । सिग्नल ग्रीन हो गया लेकिन वहाँ से हटने का मन न हुआ, और होता भी कैसे !
भला इतने सुखद पल से कौन दूर होना चाहेगा ! ट्रैफ़िक सिग्नल पर रुकना हर बार मजबूरी
का एहसास करवाता है लेकिन उस दिन रेड लाइट पर रुकना बहुत ही सुखद अनुभव रहा ।
भागो न तुम !
झाँक तो लो
भीतर
वहीं है सुकूँ
।
***
शहरी शान
पंछियों का बसेरा
पुश्तैनी वट ।
(वड़ोदरा शहर में अनेक बरगद के पेड़ है,
इसलिए इस शहर का नाम ‘वड़ोदरा’ अथवा ‘बड़ौदा’ है)
नगरों के शोर के मध्य पक्षियों के कलरव का मोहक संगीत सुनाता, सुन्दर हाइबन। बधाई डॉ. पूर्वा जी 💐
जवाब देंहटाएंउत्तम रोचक गद्य। बधाई!
जवाब देंहटाएंपक्षियों के कलरव का सजीव वर्णन सुखद लगा । सुंदर हाइबन। बधाई आपको । सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंसुंदर रोचक हाइबन
जवाब देंहटाएंआदमी और वाहनों की भीड़ जहां व्यथित करती है,वहीं पंछियों का झुंड सुकून देता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हाइबन पूर्वा जी !
जवाब देंहटाएंप्रकृति की छटा बिखेरता , बटोरता बहुत सुन्दर हाइबन और संदर्भित हाइकु भी । हार्दिक बधाई प्रिय पूर्वा ।
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