बुधवार, 30 अप्रैल 2025

हाइकु

अभिलाषा

प्रीति अग्रवाल

 

1.

मुठ्ठी में चाँद

सिमट कर आया

तुझे जो पाया!

2.

तेरे ही रंग

जाने-अनजाने में

रंगी पिया मैं!

3.

जैसा है चाँद

मन भाए, लुभाए

ऐसा ही तू भी!

4.

हर कदम

यही सोचती चली

काश! तू होता।

5.

भूले से कभी

देखो अब न लेना

जाने का नाम।

6.

जीवन सारा

तुझ संग ही बीते

है अभिलाषा।

7.

याद तुम्हारी

दिल से नहीं जाती

प्रीत सताती!

8.

प्रेम कहानी

मिलकर बनाई

आदि न अंत।

9.

देख, सोचती

मुझे चाँद चाहिए

तू मिल गया ।

10.

मन बगिया

तेरे स्पर्श से झूमी

तू पुरवाई!

11.

हमनें रखे

कदम फूँक-फूँक

फिर भी जले ।

12.

बात वही है

मन टीस उठाती

शाम वही है।

13.

तुम्हीं मित्र हो

तुम्हीं मार्गदर्शक

प्रियतम भी !

14.

नैनों की डोर

तुझ संग उलझी

कैसे सुलझे !

15.

रंग गई मैं

रंगरेज़ पिया रे

तेरे ही रंग ।

***

प्रीति अग्रवाल

कैनेडा




7 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी हाइकु कविताएँ ౹

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  2. बहुत सुंदर हाइकु सृजन के लिए हार्दिक बधाई।सुदर्शन रत्नाकर

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  3. आपने समय दे कर पढ़ा, सराहा, आपका बहुत बहुत धन्यवाद!!

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  4. पत्रिका में स्थान देने के लिए, पूर्वा जी का हार्दिक धन्यवाद!!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर, बधाई प्रीती जी।

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  6. बहुत सुन्दर, बधाई प्रीती जी।

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  7. नैनों की डोर तुम संग उलझी…. खूबसूरत है ।सभी हाइकु बढ़िया हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें प्रीति जी ।सविता अग्रवाल “सवि “

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