मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

व्याकरण विमर्श

तत्पुरुष समास

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

लोकनायक, कैलाशनाथ, उमापति, कामदेव, देवकीनंदन, अंगहीन, द्वारकाधीश, द्वारकानाथ, रघुनंदन ........।

ऐसे बहुत सारे शब्द हैं, जिन्हें हम सभी तत्पुरुष समास के उदाहरण समझते हैं - मानते हैं।

लेकिन अमेजॉन व्याकरण में ये सभी शब्द बहुव्रीहि समास के अंतर्गत दिए गए हैं।

लेखक का यह मानना है कि इन शब्दों में तत्पुरुष समास भी है तथा बहुव्रीहि भी है।


तब तो तत्पुरुष समास वाले सारे शब्दों में बहुव्रीहि होगा।

सिर्फ विग्रह बदल देना है।


लोकनायक - लोक का नायक (तत्पुरुष)

                 - वह जो लोक का नायक है।

उमापति    -  उमा के पति (तत्पुरुष)

               - वह जो उमा के पति हैं

रसोईघर  -  रसोई के लिए घर (तत्पुरुष)

              - वह जो रसोई का घर हैं।

धनहीन  -  धन से हीन (तत्पुरुष)

             - वह जो धन से हीन है।

विद्यालय - विद्या का आलय (तत्पुरुष)

             - वह जो विद्या का आलय है।

रोगग्रस्त  - रोग से ग्रस्त (तत्पुरुष)

              - वह जो ऱग से ग्रस्त है।

यहाँ मैं अपने विचार पर जोर नहीं दे रहा हूँ।

लेकिन मेरा सवाल है – बहुव्रीहि तथा तत्पुरुष के बीच संस्कृत व्याकरण में क्या भेदक रेखा मानी गई है?

बहुव्रीहि समास क्या रबर का तंबू है, जिसमें पूरा का पूरा तत्पुरुष समास ही समा जाए?

 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315,

आणंद (गुजरात)

 



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