शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की अन्य पाँच पुत्रियाँ
सुरेश चौधरी
शिव पुराण में भगवान शिव की पाँच पुत्रियों की कथा वर्णित
है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती जल में क्रीड़ा कर रहे थे। इस दौरान भगवान
शिव का वीर्य उत्सर्जित हुआ, जिसे उन्होंने एक पत्ते पर एकत्र किया। इससे पाँच पुत्रियों
का जन्म हुआ। ये पुत्रियाँ मानव नहीं थीं, बल्कि नागकन्याएँ थीं।
भगवान शिव को अपनी पुत्रियों के अस्तित्व का पता था,
लेकिन माता पार्वती इससे अनभिज्ञ थीं। भगवान शिव को इन नाग
कन्याओं से बहुत स्नेह था। वह हर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सरोवर के पास जाकर
इनसे मिलते और खेलते थे।
माता पार्वती को भगवान शिव के हर सुबह झील पर जाने का कारण
जानने की उत्सुकता हुई।
एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव का पीछा किया और झील पर
भगवान शिव को अपनी पुत्रियों के प्रति पितृत्व भाव व्यक्त करते हुए देखा। यह दृश्य
देखकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं। उन्होंने इनमें से एक कन्या को मारने के लिए
अपना पैर उठाया।
तभी भगवान शिव ने माता पार्वती को रोकते हुए उन्हें बताया
कि ये कन्याएँ उनकी अपनी पुत्रियाँ हैं। इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को उन
पुत्रियों के जन्म की पूरी कथा सुनाई। इसके बाद भगवान शिव ने इन नाग कन्याओं को
आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को इनकी पूजा
करने से घर में अन्न-धन की कमी नहीं होती और सर्पदंश का भय नहीं रहता।
भगवान शिव की इन पाँच नाग कन्याओं के नाम हैं – जया,
विषहर, शामिलबारी, देव, दोतलि। कहा जाता है कि इनका जन्म सावन
महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था।
इस प्रकार, भगवान शिव की पाँच पुत्रियों का उल्लेख शिव पुराण में मिलता
है। हालाँकि, उनके
पुत्रों की तुलना में उनकी पुत्रियाँ कम प्रसिद्ध और पूजनीय हैं,
लेकिन उनके जन्म और अस्तित्व की कहानियाँ अनूठी और रोचक
हैं। विभिन्न स्थानों पर उनके अलग-अलग रूप और कथानक प्रचलित हैं। फिर भी,
इन देवियों के अनेक भक्त उनकी पूजा और आराधना करते हैं।
सुरेश चौधरी
एकता हिबिसकस
56 क्रिस्टोफर रोड
कोलकाता 700046
नई जानकारी !आ0 सम्पादक महोदया एक आ0 लेखक महोदय को बधाई।
जवाब देंहटाएंनवीन, रोचक जानकारी।
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