शनिवार, 30 नवंबर 2024

ताँका

 


भीकम सिंह

1

देखो ना आज

काली घटाओं में है

बेपरवाही

अंगड़ाई ले रही

फिर मेरी तन्हाई ।

2

मेरे प्रेम के

अफ़साने आम हैं

इस जगह

यकीं आए ना आए

तुम हो, वो वजह।

3

थक जाता हूँ

कहते कहते मैं

कहानी मेरी

फिर भी सुनें लोग

क्यों अनकही मेरी।

4

मैं जागता था

तेरे ख़्वाबों के लिए

मनमानी में

वो भी क्या समय था

हमारी जवानी में।

5

यादें आते ही

ऑंखों में फिर नमी

आती-बेबात

मन की पीड़ा और ,

बढ़ा देती है रात ।

6

राह रोक के

तेरी यादों की हम

कब से खड़े

हटे ज्यों तेरी यादें

जान में जान पड़े ।

7

मैं राख जैसा

गुमसुम पड़ा था

तुम जो आई

धुऑं-सा निकला है

हरकत-सी हुई ।

8

कभी फिर से

मिल जाएगी कहीं

सोचा भी ना था

दिल क्यूँ उदास है

ऐसा रिश्ता तो ना था ।

9

जो मैं जी सका

ना ही तुम जी सकी

प्रेम के पल

वही तो स्मृतियों में

मिलते आजकल ।

10

तुम हूबहू

ख़्वाबों में उभरती

लेके भादों - सा

ऑंखें तब ढूँढती

वो, सावन यादों का ।



भीकम सिंह

‘अभिधा’ गली नं. 5

जारचा रोड, गुर्जर कॉलोनी

दादरी, गौतमबुद्ध नगर (उ. प्र.)

6 टिप्‍पणियां:

  1. भीकम सिंह जी के समस्त ताँका भाव जगत को स्पर्श करने वाले हैं. बहुत बहुत बधाई

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  2. भाई साहब आपका प्रत्येक ताका दिल को छू जाते हैं

    जवाब देंहटाएं
  3. रवि कुमार शर्मा1 दिसंबर 2024 को 8:47 pm बजे

    वाह दिल से दिल तक

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  4. बहुत सुंदर भावपूर्ण ताँका। हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी।सुदर्शन रत्नाकर

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर लिखा आद भीकम सिंह जी
    ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप

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  6. सभी ताँका बहुत खूबसूरत । बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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