डॉ.
सी.वी.रमन
(07
नवम्बर-1888, 21 नवम्बर-1970 )
सदैव
कुछ नया जानने की जिज्ञासा, अपने कार्य के प्रति पूरी प्रतिबद्धता व समर्पित भाव तथा
विज्ञान में विशेष रूचि ने डॉ.सी.वी.रमन को अपने क्षेत्र में अग्रसर किया ।
विज्ञान
के क्षेत्र में विभिन्न अनुसंधानों व आविष्कारों ने इस महान भारतीय वैज्ञानिक को विश्व
के अनेक देशों व संस्थाओं ने सम्मानित किया । 1930 में सर्वोच्च पुरस्कार ‘नोबल’ पुरस्कार
तथा 1954 में ‘भारत रत्न’ से ये वैज्ञानिक प्रतिभा सम्मानित हुई ।
“उन्होंने
ध्वनि, प्रकाश, चट्टानों, पक्षियों, कीडों, तितलियों, रत्नों, समुद्री सीपों, फलों,
वातावरण, मौसम, दृष्टि एवं श्रवण संबंधी अनेक वैज्ञानिक शोध किये । इस प्रकार उनका
अध्ययन विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों तथा भौतिकशास्त्र, भूगर्भशास्त्र , प्राणिशास्त्र
और शरीर विज्ञान तक व्याप्त था । ”
वैज्ञानिक
प्रयोग-अनुसंधान हेतु 1934 में सी.वी.रमन द्वारा भारतीय विज्ञान अकादमी की स्थापना
हुई । 1948 में वे ‘रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के संचालक बने ।
“प्रो.रमन
ईश्वर और धर्म की अधिक चर्चा नहीं करते थे । वास्तव में विज्ञान ही उनका ईश्वर था,
धर्म था । उनका विश्वास कि हर नयी खोज ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण प्रस्तुत करती है
। ईश्वर यदि है तो उसे इसी विश्व में खोजना होगा । ”
प्रकाश
के प्रकीर्णन पर सी.वी.रमन के कार्य को लेकर वे विशेष पुरस्कृत हुए । ‘रमन इफेक्ट’
एक बड़ी खोज है ।
(साभार- महान
भारतीय वैज्ञानिक प्रेरक जीवन चरित्र, सुरुचि प्रकाशन, नई दिल्ली )
*रमण प्रभाव*स्पेक्ट्रौस्कोपी के विशाल क्षेत्र की आधारशिला है.संपादक जी को बहुत बहुत धन्यवाद. हर अंक मे एक भोतिकविद के बारे मे सामग्री रहे तो शाला और महाविद्यालय स्तर के छात्रों के लिए अच्छा होगा.
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