शुक्रवार, 31 मई 2024

दोहे


माँ 

सुरेश चौधरी 

 

छवि मोहक अनमोल माँ, हिमाद्रि धवल तुषार

ज्ञान   विभूषित   देव  है, ओज   तप्त  कंचार।

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मूरत   तू   वात्सल्य   की,   मात   जीवनाधार

तेरी   महिमा   पूज्य   है,   नित्य करूँ सत्कार।

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ओम   नाद   सी शांतिमय, शिव डमरू झंकार

सुर   कान्हा   के   वेणु   सा, खट्टा मीठा प्यार।

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पावन   जमुना  है  कहीं,  कहीं  गंग जल धार

कहीं  बृजधरा  की इड़ा,  कहीं शुचित हरिद्वार।

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तुलसी  सुर की भक्ति  का, मातृ  भाव उद्गार 

मीरा  के  हैं   मधुर  पद, माँ  ममता  का  भार।

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वेद ऋचाएँ  रचित तू,  माँ  तू  सारा  सार 

ऋषि  मुनियों  की  साधना, तुमसे  माँ  संसार।

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रजनीगन्धा   पुष्प  सी,  कुमुद  चन्द्रिका  हार  

जीवन  परिमल  चरण  में, माँ  पुष्प पुरस्कार।

***

 

सुरेश चौधरी

एकता हिबिसकस

56 क्रिस्टोफर रोड

कोलकाता 700046

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