माँ
छवि मोहक अनमोल माँ, हिमाद्रि धवल तुषार
ज्ञान
विभूषित देव है, ओज तप्त कंचार।
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मूरत तू वात्सल्य
की, मात जीवनाधार
तेरी महिमा पूज्य
है, नित्य करूँ सत्कार।
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ओम नाद सी शांतिमय, शिव डमरू झंकार
सुर कान्हा के
वेणु सा,
खट्टा मीठा प्यार।
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पावन जमुना है
कहीं, कहीं गंग जल धार
कहीं बृजधरा की इड़ा, कहीं
शुचित हरिद्वार।
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तुलसी सुर की
भक्ति का, मातृ भाव उद्गार
मीरा के हैं
मधुर पद,
माँ ममता का
भार।
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वेद ऋचाएँ रचित तू, माँ तू
सारा सार
ऋषि मुनियों की
साधना, तुमसे माँ
संसार।
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रजनीगन्धा
पुष्प सी, कुमुद चन्द्रिका
हार
जीवन परिमल चरण
में, माँ पुष्प पुरस्कार।
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सुरेश चौधरी
एकता हिबिसकस
56 क्रिस्टोफर रोड
कोलकाता 700046
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