अरुणकुमार सिंह
मेरा गाँव आज खाली है
ऐ शहर तेरी फ़ितरत
मेरा गाँव आज खाली है।
बहुत के चक्कर में
बहुत छोड़ चले गए
कुछ बहुत पा गए
बहुत कुछ पा लिए
कुछ का बहुत खोया
बहुत का कुछ खो गया।
यहाँ कुछ बहुत नहीं है
पर बहुत कुछ है यहाँ।
तेरी गलियों में दम घुटता है
यहाँ जीवन की खुली हवा है।
तू इतराता है अपनी
गगनचुंबी इमारतों पर
यहाँ माँ का विशाल आँचल है।
कोयल की कूक और
पपीहे की रट निराली है।
कहीं मोर का पिहकना
कहीं बुलबुल का तराना है।
तेरी शोहरत नकली है
हमारी शान निराली है।
तू भरा होकर भी खाली है
तेरी तृष्णा तो निराली है
निगल गया मेरे गाँव को
मेरा गाँव आज खाली है।
।। जयतु ग्राम देवता ।।
अरुणकुमार सिंह
(बेसिक शिक्षक)
ग्राम व पोस्ट चाचिकपुर जनपद
अम्बेडकरनगर (उत्तरप्रदेश)
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