गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

कविता

संत सिरोमणि रविदास

गोपाल जी त्रिपाठी

 

जिसकी पद-रज अमर बिन्दु मीरा हिए,

जिसके जीवन से प्रेरित कबीरा हुए।

संत ऋतुओं में वह जैसे मधुमास है ! 

कौन है वह!

महासंत रविदास है

पा के पारस भी मन जिसका विचलित नहीं ,

कर्म की साधनारत इतर चित्त नहीं ।

दीन-हीनों को अर्पित हरेक साँस है ! कौन है वह

कर्म मृत -चर्म का मर्म सद्धर्म का,

पा के कंगन प्रफुल्लित जो सत्कर्म का !

जिसके कठउत में गंगा का संवास है ! कौन है वह

छू के मिट्टी वह सतलुज बहाया करे,

पा के कठउत में गंगा नहाया करे ।

संत-समुदाय में जो परम व्यास है ।

कौन है वह !

महासंत रविदास है !!


गोपाल जी त्रिपाठी

हिंदी प्रवक्ता कवि और

साहित्यकार,सेंट जेवियर्स

स्कूल सलेमपुर ग्राम पोस्ट-

नूनखार, देवरिया उ०प्र०

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