बुधवार, 26 जुलाई 2023

कविता


सावन

अनिता मंडा

बाहें खोल तुम जीवन का स्वागत करोगे

सावन चला आएगा

जीवन को सावन की नज़र से देखना

खुशियों की बारिश पाजेब खनका देगी

 

तुम्हारी छतरी को चूमने

सावन बूँद-बूँद हो जाएगा

बाहें फैला तुम छतरी को उड़ा देना

बूँदों के आँचल को लपेटे हुए झूमना

धरती की कोख आनंद से भर उठेगी

तुम्हारी हँसी-सा इंद्रधनुष देखो तो

आसमान की मुस्कान है ये

 

तुम रोज़ हँसी के पंख जमा करते जाना

एक दिन उड़ना सीखना

ये स्वप्निले  दिन-रात

सपनों में रख कर

कहीं भूल मत जाना

 

झींगुरों की आवाज़ का साज़ बनाकर

रचना मीठी धुनें

कर्कश शोर से भरी है ये दुनिया

 

कोलाहल के बीच सुकून से सोने के लिए

रंग-बिरंगी गोलियाँ नहीं

सितारों की रुपहली अशर्फियाँ चाहिए

 

कड़वी जड़ी-बूटियों का अर्क हैं नसीहतें

कोई दुष्प्रभाव न करेंगी

बहुत ज़रूरी है

नए के साथ पुराने की जुगलबंदी

आषाढ़ के साथ सावन कितना सहज रहता है।


 

अनिता मंडा

दिल्ली

8 टिप्‍पणियां:

  1. कड़वी जड़ी-बूटियों का अर्क हैं नसीहतें

    कोई दुष्प्रभाव न करेंगी


    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति अनीता जी

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर रचना
    😊

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह, ऐसा सुंदर लेखन.. बहुत बधाई 🌹

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

    जवाब देंहटाएं
  5. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

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