सावन
अनिता मंडा
बाहें खोल तुम
जीवन का स्वागत करोगे
सावन चला आएगा
जीवन को सावन की
नज़र से देखना
खुशियों की
बारिश पाजेब खनका देगी
तुम्हारी छतरी
को चूमने
सावन बूँद-बूँद
हो जाएगा
बाहें फैला तुम
छतरी को उड़ा देना
बूँदों के आँचल
को लपेटे हुए झूमना
धरती की कोख
आनंद से भर उठेगी
तुम्हारी
हँसी-सा इंद्रधनुष देखो तो
आसमान की
मुस्कान है ये
तुम रोज़ हँसी
के पंख जमा करते जाना
एक दिन उड़ना
सीखना
ये स्वप्निले दिन-रात
सपनों में रख
कर
कहीं भूल मत
जाना
झींगुरों की
आवाज़ का साज़ बनाकर
रचना मीठी
धुनें
कर्कश शोर से
भरी है ये दुनिया
कोलाहल के बीच
सुकून से सोने के लिए
रंग-बिरंगी
गोलियाँ नहीं
सितारों की रुपहली
अशर्फियाँ चाहिए
कड़वी
जड़ी-बूटियों का अर्क हैं नसीहतें
कोई दुष्प्रभाव
न करेंगी
बहुत ज़रूरी है
नए के साथ
पुराने की जुगलबंदी
आषाढ़ के साथ
सावन कितना सहज रहता है।
अनिता मंडा
दिल्ली
बहुत सुंदर कविता ❤️
जवाब देंहटाएंकड़वी जड़ी-बूटियों का अर्क हैं नसीहतें
जवाब देंहटाएंकोई दुष्प्रभाव न करेंगी
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति अनीता जी
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं😊
अति सुन्दर 👌👌
जवाब देंहटाएंवाह, ऐसा सुंदर लेखन.. बहुत बधाई 🌹
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंप्रणाम!
हटाएंआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया
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