बुधवार, 26 जुलाई 2023

कविता




बेटा इश्क़ करो...

गौतम कुमार सागर

बेटा इश्क़ करो... अपने ख्वाबों से

न कि गुल –गुलाबों से

 

बेटा इश्क़ करो ... अपनी किताबों से

न हुस्न –हिजाबों से

बेटा इश्क़ करो .. अभी कामयाबों से 

न कि टूटे ख्वाबों से

 

बेटा इश्क़ करो ... पथ के खारों से 

न कि मखमली बहारों से

बेटा इश्क़ करो ...जिद्दी  कामगारों से

न कि आलसी सहारों से

 

बेटा इश्क़ करो ...जुनूनी घुड़सवारों से

न कि थके कहारों से

बेटा इश्क़ करो...जंगी जहाजों से

न कि कागजी परवाजों से

 

बेटा इश्क़ करो ... अर्जुनी तीरों से

न कि हाथ की लकीरों से

बेटा इश्क़ करो ...सच्चे फ़कीरों से

न कि खोखले अमीरों से

 

बेटा इश्क़ करो ...उफनती लहरों से

न कि लहराती ज़ुल्फों से

बेटा इश्क़ करो ...जुगनू तारों से

न कि झुकी पलकों से

 

बेटा इश्क़ करो ...सच्ची दिलवाली से

न कि अधनंगी रील वाली से  

बेटा इश्क़ कर

 

पहले ख़ुदा से

फिर वतन से

वालिदा से

पिता से 

फिर बहन भाई से  

दोस्तों से

 

फिर तू ख़ुद से

फिर ख़ुदी से

मरहलों से

फिर रास्तों से

 

बेटा इश्क़ कर

उसकी रहमत से

उसकी इनायत से

उसकी बरकत से

उसकी कुदरत से

 

अपनी मिट्टी से

अपनी मुट्ठी से

मेहनत की रोटी से

माँ की चिट्ठी से

 

और इतना इश्क़

जब हो जाए तुमको

इश्क़ तेरी रूह में

उतर आएगी तेरी

कि अब तो किसी

भी लड़की से चलाए

तू इश्क़ का दौर

 

वो इश्क़ ही होगा

न कि कुछ और

 

न ब्रेकअप होगा

न दिल भी टूटेगा

न इंसानियत से

भरोसा उठेगा

 

क्योंकि तुमने इश्क़

सबसे किया है

क्योंकि तेरा इश्क़

एक जलता दीया है

 

क्योंकि तेरा इश्क़

न उम्र का रेला है

क्योंकि तेरा इश्क़

वफ़ा का मेला है

यही सबक बेटे

तुमको देना है

जिस मौसम में हो तुम

ये इश्क़ का महीना है

 

ऐसा है ये

मामला –ए इश्क़

उम्र भी तुम्हारी है

उन्नीस और बीस

 

तुममें दुनियादारी भी कम है

और तैयारी भी कम है

जिस्म को रूह मान लेते हो

अभी समझदारी भी कम है

 

ये बाबू ये सोना सब

मेसीजिंग भर है

ये रूप ये हुस्न ये अदा

सब फिशिंग भर है

 

न इल्ज़ाम दो

कि इश्क़ से रोकता हूँ तुम्हें

अपना समय जी लिया

अपनी सीख थोपता हूँ तुम्हें

 

इश्क़ कर

खूब कर

मगर मगर ...

ऊपर में क्या था

दुबारा पढ़

 

बेटा इश्क़ करो... अपने ख्वाबों से

न गुल –गुलाबों से

 

बेटा इश्क़ करो ... अपनी किताबों से

न हुस्न –हिजाबों से

बेटा इश्क़ करो .. अभी कामयाबों से 

न कि टूटे ख्वाबों से

 


गौतम कुमार सागर

मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा

वड़ोदरा

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही शानदार कविता. हर युवा को पढ़ना समझना चाहिए. मज़ा आ गया

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  2. सुंदर संदेश देती बढ़िया कविता। सुदर्शन रत्नाकर

    जवाब देंहटाएं

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