शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

व्याकरण विमर्श

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

1

विराम चिह्न

मुझे यहाँ हिंदी में ‘विराम चिह्न’ की अवधारणा पर बात करनी है। हिंदी व्याकरण में ‘विराम चिह्न’ की बड़ी काव्यात्मक व्याख्याएँ दी गई हैं। हिंदी व्याकरण की लगभग सभी पुस्तकों में ‘विराम चिह्न’ को उच्चारण से जोड़ा गया है। यह बड़ी भूल है। इसका मुख्य कारण है ‘विराम’ शब्द। विराम शब्द के कारण ही लोग इसे उच्चारण से जोड़ देते हैं। विराम यानी बोलते समय बीच बीच में रुकना। यह धारणा एकदम गलत है।

असल में हिंदी में ‘विराम’ तथा ‘विराम चिह्न’ अंग्रेजी के ‘पंक्चुएशन’ तथा ‘पंक्चुएशन मार्क्स’ के अनुवाद हैं। अंग्रेजी व्याकरण में पंक्चुएशन का अर्थ होता है विभाजित करना। यानी किसी लिखित सामग्री को वाक्यों उपवाक्य, पद और पदबंध में विभाजित करना। विभाजित करने के लिए जिन चिह्नों का उपयोग किया जाता है उन्हें अंग्रेजी में ‘पंक्चुएशन मार्क्स’ कहते हैं। लेखन में वाक्य के प्रमुख घटकों को चिह्नित करना। ताकि वाक्यार्थ को सरलता से समझा जा सके। उच्चारण से इसका कुछ लेना देना नहीं है।

यहाँ यह भी समझ लेना जरूरी है कि ‘विराम चिह्न’ व्याकरण का केंद्रीय विषय नहीं है। विराम चिह्न का व्याकरण से कोई  सीधा संबंध नहीं है। उसका संबंध सिर्फ लेखन पद्धति से है।चूँकि लेखन भाषा अभिव्यक्ति का एक रूप है। इसलिए परिशिष्ट के रूप में व्याकरण की पुस्तकों में विराम चिह्न को शामिल कर लिया जाता है।

2

सर्वनामों के साथ परसर्गों का प्रयोग

१. ने, को, से, का(के/की) में और पर - ये छ हिन्दी के परसर्ग हैं। वाक्य-रचना में इन परसर्गों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

२. मैं, हम, तू, तुम, आप, यह, वह, ये, वे, कोई, कुछ, क्या, कौन, जो - हिन्दी के सर्वनाम हैं।

३. ये सर्वनाम अपने मूल रूप में बिना परसर्ग के प्रयुक्त होते हैं। यानी इनके साथ परसर्गों का प्रयोग अनिवार्य नहीं है।

४. लेकिन जब इनके साथ परसर्गों का प्रयोग होता है, तब कुछ सर्वनामों को छोड़कर बाकी सभी के स्थान पर उनका एक दूसरा रूप प्रयुक्त होता है।

यहाँ हम उन्हीं को समझने की कोशिश करेंगे।

५. हम, तुम तथा आप सर्वनामों के दूसरे रूप नहीं होते, जिनके साथ परसर्गों का प्रयोग होता हो।

ये अकेले भी प्रयुक्त होते हैं और (का को छोड़कर ) सभी परसर्गों के साथ भी प्रयुक्त होते हैं।

हमने, तुमने, आपने।

हमको, तुमको, आपको।

हमसे, तुमसे, आपसे

हममें, तुममें, आपमें .....

६. लेकिन जब अन्य सर्वनामों के साथ परसर्ग जोड़े जाते हैं, तब उन सर्वनामों के स्थान पर उनके दूसरे रूप उपस्थित हो जाते हैं। जैसे -

'वह' के ने/को/से परसर्गों का प्रयोग करने पर वह के स्थान पर 'उस' आ जाता है। फिर उसने/उसको/उससे जैसे रूप बनते हैं।

७. मैं और तू के साथ सिर्फ़ 'ने' परसर्ग जुड़ता है।

मैंने, तूने।

८. मैं और तू के साथ 'ने' के अलावा दूसरे परसर्गों के जुड़ने पर मैं की जगह 'मुझ' तथा तू की जगह 'तुझ' आ जाता है।

मुझ+को/से।   मुझको/मुझसे

तुझ+को/से।    तुझको/तुझसे

९. परंतु यह/वह/ये/वे के साथ ऐसा नहीं है। इनमें से किसी के साथ कोई परसर्ग सीधे नहीं लगता। कोई भी परसर्ग लगने पर 'यह' की जगह 'इस' तथा 'वह' की जगह 'उस' और 'ये' की जगह 'इन्हों' तथा 'इन' तथा 'वे' की जगह 'उन्हों' तथा  'उन' आ जाते हैं।

ऐसा सिर्फ़ यह/वह के बहुवचन रूप ये/वे के साथ होता है।

इन्हों तथा उन्हों सिर्फ़ ने परसर्ग के साथ आते हैं। इन्होंने/उन्होंने।

इसने/इसको/इससे/इसमें ......

उसने/उसको/उससे/उसमें .....

१०. 'जो' सर्वनाम एकवचन तथा बहुवचन दोनों में चलता है।

जो करेगा, वह भरेगा। (एकवचन)

जो करेंगे, वे भरेंगे। (बहुवचन)

११. एकवचन के 'जो' सर्वनाम के साथ परसर्ग लगने पर सभी परसर्गों के साथ जो के स्थान पर 'जिस' हो जाता है।

जिसने/जिसको/जिससे/जिसमें ......

१२. बहुवचन के 'जो' सर्वनाम के साथ 'ने' परसर्ग लगने पर जो के स्थान पर 'जिन्हों' हो जाता है।.जिन्होंने।

१३. जो के साथ अन्य परसर्गों के लगने पर जो के स्थान पर 'जिन' हो जाता है।

जिनको/जिनसे/जिनका/जिनमें ...।

१४. कौन तथा क्या दो प्रश्नवाचक सर्वनाम हैं। परसर्ग जुड़ने पर इन दोनों के स्थान पर एकवचन में 'किस' तथा बहुवचन में 'किन/किन्हों' आते हैं।

१५. कौन तथा क्या का कोई बहुवचन रूप नहीं है। बहुवचन का काम इनके द्विरुक्त रूप करते हैं।

कौन-कौन/क्या-क्या।

इनके साथ सीधे कोई परसर्ग नहीं लगता। परसर्ग लगने पर इनके स्थान पर 'किन' तथा 'किन्हों' (सिर्फ़ ने परसर्ग के साथ)

१६. किसने/किसको/किससे/किसका/किसमें (कौन तथा क्या दोनों के लिए एकवचन में)

१७. किन्होंने (कौन तथा क्या दोनों के बहुवचन रूप के लिए सिर्फ ने परसर्ग के साथ)

१८. किनको/किनसे/किनका/किनमें (कौन तथा क्या दोनों के बहुवचन रूप के लिए अन्य सभी परसर्गों के साथ)

 

 


डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315, आणंद (गुजरात)

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