जनवरी माह आया!
डॉ. पूर्वा शर्मा
जनवरी माह आया!
नववर्ष की ढेर सारी सौगातें
साथ है लाया
कुहरे में लिपटी सुबहो-शाम
नर्म धूप ने लिखी शिकायतें
ठंडी हवा के झोंकों के नाम
हिन्दी का परचम विश्व भर में लहराया
देश-परदेश के लोगों ने जब
‘विश्व हिन्दी दिवस’ मनाया
‘सती’ की याद में जली ‘लोहड़ी’
‘दुल्ला भाटी’ की कथा
लोकगीतों में गूँज उठी
सूर्य ‘उत्तरायण’ में ज्यों आया –
लहराती पतंगों का कुनबा
आसमान पे छाया
उत्सव चार दिनों का आया –
भोगी, सूर्य, मट्टू और कानुम,
‘पोंगल’ पका जब ‘पोंगल’ मनाया
मकर संक्रांति के अनेक नाम –
बिहू, खिचड़ी, माघी संगरांद
जन हैं करते तिल, खिचड़ी दान
माघी धुंध थोड़ी छँटने लगी
गणतंत्र दिवस की झाँकियाँ सजीं
हर दिल में जन-गण-मन की धुन है बजी
पौष-माघ के अनेक उपहार
बड़ा खुशनुमा ये मौसमी हार
जनवरी ले आया कई त्योहार।
डॉ. पूर्वा शर्मा
वड़ोदरा
जनवरी का सम्पूर्ण चित्रण सुंदर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता ....
जवाब देंहटाएंबहोत खुब
जवाब देंहटाएंनया प्रयोग,अच्छी प्रस्तुति-बधाई
जवाब देंहटाएंजनवरी साल का प्रथम मास
जवाब देंहटाएंपूरे माह रहते है उमंग और उल्लास
बसंत भी शबाब पर है रहता
शादी के लिए नव युवकों को उकसाता
हम भी हो जाते शामिल
हर दिन होते नव उत्सव
यादगार रहता है यह माह पूरे साल
पूर्वा को कविताओं की इन पंखुड़ियों के लिए बधाई