बुधवार, 18 जनवरी 2023

शब्द संज्ञान

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

अंतर्ध्यान और अंतर्धान

१. अंतर्ध्यान सही है या अंतर्धान?

२. अंतर्धान में अचानक गायब होने का अर्थ कैसे आया?

पहले प्रश्न का उत्तर -

अंतर्ध्यान तथा अंतर्धान दोनों सही हैं। अंतर्धान संस्कृत का शब्द है । वह तो सही है ही।

अंतर्ध्यान अंतर्धान से व्युत्पन्न हिंदी का अपना शब्द है। यानी अंतर्ध्यान तद्भव शब्द है। जिस शब्द को ७६% लोग सही मानते हों, जिस शब्द का प्रयोग सबसे ज्यादा लोग करते हों, उसे आप गलत कैसे कह सकते हैं? क्या उसके गलत होने का आधार यह है कि वह संस्कृत में नहीं है?

किसी शब्द के सही या गलत होने का सबसे बड़ा प्रमाण प्रयोग है। क्या आप मनोकामना को गलत कह सकते हैं? जबकि वह संस्कृत व्याकरण से गलत है। संस्कृत का शब्द नहीं है।

२. दूसरे प्रश्न का उत्तर -

अंतर्धान शब्द ‘अन्तर्धा’ (अन्तर्+धा) से बना है। अंतर्धान के मूल में धा धातु है। धा का मूल अर्थ है धारण करना, रखना। और भी बहुत सारे अर्थ हैं। लेकिन धा का अर्थ छिपना, छिपाना या गायब होना नहीं है।

फिर यह अर्थ कैसे आया?

संस्कृत व्याकरण कहता है कि धातु के साथ उपसर्ग के जुड़ने से धातु का अर्थ एकदम से बदल जाता है -

उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते। (उपसर्ग धातु के अर्थ को जबरदस्ती बदल देता है। यानी उपसर्ग के कारण धातु का अर्थ कुछ का कुछ हो जाता है।)

धा धातु में छिपने छिपाने या गायब होने का अर्थ भले न हो, लेकिन उसके साथ ‘अन्तर् के जुड़ने से ‘अन्तर्धा का अर्थ छिपना, गायब होना हो जाता है। फिर उसके साथ ‘ल्युट्’ प्रत्यय जुड़ने से अंतर्धान बनता है। अन्तर् अव्यय है। लेकिन उसका प्रयोग उपसर्ग के समान होता है।

अंतर्धान का अपभ्रंश रूप अंतर्ध्यान है।

अंतर्ध्यान गलत नहीं है। वह हिंदी का शब्द है।

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315,

आणंद (गुजरात)

 

 

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