शनिवार, 31 दिसंबर 2022

शब्द संज्ञान

 


शब्द संज्ञान 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

तकाजा, तकादा तथा तगादा में सही क्या है?

१. मूल अरबी शब्द है तकाजा।

कोशों में जिसका अर्थ दिया है - दिए हुए पैसे को माँगना, किसी काम के लिए बार-बार कहना, आवश्यकता, जरूरत।

२. तकाजा के लिए ही हिंदी में तगादा चलता है।

३. तकादा कोई शब्द नहीं है।

हो सकता है अखबार की कटिंग में जिन्होंने तकादा लिखा है, उनको लगता होगा कि तगादा गलत है। सही है तकादा।

जैसे हिंदी में प्रकट और प्रगट शब्द हैं। हम प्रगट का प्रयोग नहीं करते। प्रकट का प्रयोग करते हैं।

ऐसे ही उनको लगा होगा कि ग नहीं क होता होगा। यानी तगादा नहीं तकादा।

हलाँकि तकादा कोई शब्द नहीं है।

दूसरी मजे की बात।

तकाजा से ही तगादा बना है। परंतु दोनों समानार्थक नहीं हैं।

हिंदी में तकाजा का अर्थ आवश्यकता या माँग है।

वक्त का तकाजा।

लेकिन तगादा का अर्थ वसूली होता है। या किसी काम के लिए बार-बार कहना या याद दिलाना होता है।

व्यापारी का तगादा।

इसे हम -

व्यापारी का तकाजा

अथवा

वक्त का तगादा नहीं कहते।

दोनों के प्रयोग के संदर्भ अलग अलग हैं।

इसमें कोई कमी हो तो कृपया निर्देश करें।

 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315,

आणंद (गुजरात)

 

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