सोमवार, 15 अगस्त 2022

विचार स्तवक



 

1

भारत एक स्वप्न भू को

ऊपर ले जाने वाला;

भारत एक विचार

स्वर्ग को भू पर लाने वाला।

- रामधारी सिंह दिनकर

2

भारत नहीं स्थान का वाचक,

गुण-विशेष नर का है।

एक देश का नहीं, शील

यह भूमंडल भर का है।

- रामधारी सिंह दिनकर

3

स्वतंत्रता परमात्मा का ही गुण है।

- लोकमान्य तिलक

4  

स्वतंत्रता का अनुभव करना ही जीवन है। पराधीन व्यक्ति सजीव होते हुए भी मृतकतुल्य है।

- यशपाल

5  

लोग चाहे मुट्ठी भर हों, लेकिन संकल्पवान हों, अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था हो, वे इतिहास को भी

बदल सकते हैं।

- महात्मा गाँधी

 

 

 

 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

फरवरी 2025, अंक 56

  शब्द-सृष्टि फरवरी 202 5 , अंक 5 6 परामर्शक की कलम से : विशेष स्मरण.... संत रविदास – प्रो.हसमुख परमार संपादकीय – महाकुंभ – डॉ. पूर्वा शर्...