डॉ.
योगेन्द्रनाथ मिश्र
1)
दुखदाई/दुखदायी, नयी/नई, धराशायी/धराशाई
-
इन तीन शब्द युग्मों में से कौन सही है ?
1. दुखदाई
सही है। यह शब्द संस्कृत दुःखदातृ से बना है।
ध्वनि विकास
के क्रम में संस्कृत की ‘ऋ’ स्वर ध्वनि ‘ई’ बन जाती है।
तुलना के लिए
दूसरे शब्द हैं -
भ्रातृ से
भाई।
मा्तृ से माई
।
धातृ से दाई
2. नयी/नई
में किसी एक को सही कहने का तथा दूसरे को गलत कहने का कोई भाषिक आधार नहीं है।
अलग-अलग आधारों पर दोनों सही हैं।
जैसे -
गयी/गई
खायी/खाई। आदि
3.धराशायी सही है।
यह तत्सम
शब्द है।
मूल संस्कृत
है धराशायिन्।
धरायां
शायिनः इति धराशायी।
धरती पर शयन
करने वाला।
2)
राजनीतिक/राजनैतिक
राजनीतिक
तथा राजनैतिक दोनों सही हैं। दोनों का अर्थ एक ही है।
फर्क दोनों
में यह है कि दोनों के स्रोत अलग अलग हैं। दोनों की रचना प्रक्रिया अलग है।
राजनैतिक का
स्रोत संस्कृत है। यानी संस्कृत व्याकरण के नियमानुसार राजनैतिक बना है।
लेकिन
राजनीतिक हिंदी का अपना शब्द है।
हम हर शब्द
के सही और गलत का आधार संस्कृत को बना लेते हैं, तभी यह दिक्कत पैदा होती है।
जब किसी शब्द
पर संस्कृत का नियम लागू नहीं पड़ता, तब
हम कहते हैं कि शब्द गलत है।
लेकिन यह
धारणा ठीक नहीं है।
कोई भी भाषा
किसी दूसरी भाषा के नियमों से संपूर्णतः संचालित नहीं होती।
हिंदी में एक
शब्द है - मनोकामना।
जो संस्कृत
व्याकरण के अनुसार गलत है।
संस्कृत
व्याकरण के नियम से मनःकामना होगा।
लेकिन
मनःकामना हिंदी में चलता नहीं है।
है कोई ऐसा
जो मनोकामना को गलत मानता हो?
कोई नहीं।
जबकि संस्कृत व्याकरण के अनुसार वह गलत है।
भाषा प्रयोग
में व्याकरणिकता (व्याकरण सम्मत होना) से अधिक महत्त्व स्वीकार्यता को दिया जाता
है।
राजनीतिक
शब्द हिंदी भाषी समाज द्वारा स्वीकृत शब्द है।
इसलिए वह सही
है।
भले ही संस्कृत व्याकरण को गलत लगता
है।
डॉ.
योगेन्द्रनाथ मिश्र
40,
साईं पार्क सोसाइटी
बाकरोल
– 388315
जिला-
आणंद (गुजरात)
शब्दों का सफ़र कहाँ से कैसे चलता है; रोचक
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