बुधवार, 4 मई 2022

लघुकथा

 



वजह

प्रीति अग्रवाल

आ गए आप...,’ साक्षी की आँखों की लौ कुछ पल को चमकी, फिर निस्तेज हो गई।

रोज़ की तरह सचिन का मोबाईल उनके कानों में गढ़ा हुआ था, ‘आप निश्चिंत रहिए, जब आप से कह दिया कि काम हो जाएगा तो बस हुआ समझिए...हाँ, बस आप आपना वायदा याद रखियेगा....

ड्राइवर ने जाते हुए वही दोहरा दिया जो वो करीब करीब रोज ही कहता था, ‘मैडम, साहब कह रहे थे वो खाना खा कर आये हैं, आप भी खाकर सो जाइये, उनकी एक मीटिंग है वो उसमे बिज़ी रहेंगे....

साक्षी ने अनमनी-सी हामी भर दी।

अगले दिन सचिन साक्षी को देखते ही व्यंग्य कसते हुए बोले, ‘पता नहीं तुम्हारे चेहरे पर हमेशा बारह क्यों बजे रहते हैं.... किस बात की कमी है तुम्हें.....गाड़ी, बंगला, ज़ेवर , कपड़े, सब तो है तुम्हारे पास, फिर भी ये मायूसी भरा चेहरा लेकर घूमती हो......सारा मूड खराब हो जाता है।

साक्षी धीमी सी आवाज़ में बोली, ‘जहाँ इतना दिया है, एक चीज़ और दे दो....’

अब भला तुम्हें और क्या चाहिए..

मुस्कुराने की वजह...।

 



प्रीति अग्रवाल

कैनेडा

6 टिप्‍पणियां:

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