गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

आलेख



हिन्दी फिल्म पत्रकारिता

सैयद खालिदमोहंमद

          पत्रकारिता का विषय-क्षेत्र काफी विस्तृत एवं वैविध्यपूर्ण रहा है। खोजी पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, विज्ञापन पत्रकारिता, विज्ञान पत्रकारिता, संसदीय पत्रकारिता, साहित्यिक पत्रकारिता, व्याख्यात्मक पत्रकारिता, फोटो पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, रेडियो पत्रकारिता, बाल पत्रकारिता, वृतान्त पत्रकारिता, ग्रामीण पत्रकारिता, अन्तरिक्ष पत्रकारिता, विकास पत्रकारिता, दूरदर्शन पत्रकारिता, विधि पत्रकारिता, सर्वोदय पत्रकारिता, कृषि पत्रकारिता जैसे पत्रकारिता के विविध प्रकारों में फिल्म पत्रकारिता का भी विशेष महत्व रहा है।

          लक्ष्मीकान्त उपाध्याय ने अपनी पुस्तक ‘पत्रकारिता का इतिहास’ में पत्रकारिता का अर्थ देते हुए लिखा है कि- ‘‘पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार, लेख आदि एकत्रित करने, उन्हें सम्पादित कर प्रकाशित करने का आदेश देना ही पत्रकारिता है।’’1 आज के दौर में पत्रकारिता का इतना ही अर्थ देना उचित नहीं है। लेकिन आज पत्रकारिता का अर्थ काफ़ी विस्तृत हो गया है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा आधारभूत स्तंभ माना जाता है, क्योंकि पत्रकारिता ज्ञान-विज्ञान, दर्शन, साहित्य, कला, राजनीति, अर्थतंत्र, इतिहास, समाज, निर्माण, विनाश आदि छोटे बड़े सभी विषयों को अपने अंदर समाहित कर सामान्य पाठक को जागरूक करने का कार्य करती है। पत्रकारिता की परिभाषा देते हुए एन. सी. पंत ने अपनी पुस्तक ‘हिन्दी पत्रकारिता का विकास’ में लिखा है- ‘‘समय और समाज के संदर्भ में सजग रहकर नागरिकों में दायित्व बोध कराने की कला को पत्रकारिता की संज्ञा दी गयी है।’’2

          फिल्म पत्रकारिता की शुरुआत 1931 से हुई है। इसी वर्ष भारत में प्रथम सवाक् फिल्म ‘आलम आरा’ में आई। फिल्म संबंधी हिन्दी की प्रथम पत्रिका होने का गौरव ‘नव चित्रपट’ को है। वे सन् 1932 में दिल्ली से निकली थी। दूसरी तरफ कुछ पत्रकारिता के अध्येता 1931 में इंदौर से प्रकाशित ‘मंच’ पत्रिका को हिन्दी की पहली फिल्म पत्रिका मानते हैं। सन् 1936 तक ‘‘रंगभूमि’’ पत्रिका अकेली निकलती रही। हिन्दी के जाने-माने साहित्यकार ऋषभचरण जैन ने दिल्ली से ही फिल्मी साप्ताहिक पत्रिका ‘चित्रपट’ की शुरुआत  की। सन् 1948 में श्री राज केसरी ने ‘चित्रलेखा’ नामक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। वहीं दूसरी तरफ प्रसिद्ध पत्रकार एवम् लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास ने मुंबई से हिन्दी मासिक ‘सरगम’ पत्रिका का आरंभ किया। इस पत्रिका का प्रथम भाग साहित्यिक होता था और द्वितीय भाग में फिल्म से जुड़ी सामग्री दी जाती थी। ‘फिल्मी दुनिया’ को हिन्दी की सबसे अधिक बिकने वाली फिल्मी मासिक पत्रिका माना जाता है। जिसका प्रकाशन सन् 1958 में हुआ था। इसके बाद टाइम्स ऑफ इंडिया ने ‘माधुरी’ के प्रकाशन की शुरुआत की थी। सन् 1962 में ‘राधिका’ का प्रकाशन शुरू हुआ। सन् 1965 में ‘फिल्मी कलियाँ’ नामक फिल्म पत्रिका शुरू हुई। इसके तत्पश्चात सन् 1975 के आरंभ में मुंबई से सिनेमा संबंधी एक और नई पत्रिका निकाली गई जिसका नाम था – ‘रजनी गंधा’। इसके बाद ‘पटकथा’ नामक पत्रिका मध्य प्रदेश फिल्म विकास निगम की सिनेमा पर आधारित पत्रिका भी आई। इसके अलावा मायापुरी, स्टार डस्ट, फिल्म फेयर आदि कई सारी फिल्म पत्रिकाएँ निकलती रहीं। इसके अतिरिक्त हम देखते हैं कि लगभग हर दैनिक अखबार में फिल्मी जगत से जुड़ी हुई खबरों का एक पृष्ठ भी आता है। न्यूज चैनलों में भी फिल्मों से जुडे हुए प्रोग्राम आते रहते हैं। डिजिटल मीडिया में भी फिल्मों से संबंधित खबरे प्रस्तुत की जाती है।



          देश के विभिन्न भागों में से प्रकाशित होने वाली कुछ फिल्मी पत्रिकाएँ निम्नलिखित है-

चित्र भारती - मासिक पत्रिका          -         कलकत्ता, सन् - 1955

सिने चित्रा - साप्ताहिक पत्रिका         -         कलकत्ता, सन् - 1955

सिने वाणी - साप्ताहिक पत्रिका         -         मुंबई, सन् - 1956

सिने संसार - साप्ताहिक पत्रिका         -         कलकत्ता, सन् - 1957

सिने सितारा - मासिक पत्रिका          -         कलकत्ता, सन् - 1957

रजत पट पाक्षिक                            -         महू छावनी, सन्  - 1957

रसभरी - मासिक पत्रिका                 -         दिल्ली

फिल्मीस्तान - मासिक पत्रिका -         फिरोजपुर, सन् - 1958

फिल्म किरण - मासिक पत्रिका         -         जबलपुर, सन् - 1959

चित्र छाया - मासिक पत्रिका            -         दिल्ली, सन् - 1959

इंदुमती - मासिक पत्रिका                 -         दिल्ली, सन् - 1959

सिने एक्सप्रेस - साप्ताहिक पत्रिका     -         इंदौर, सन् - 1959

चित्रावली - साप्ताहिक पत्रिका                    -         मुंबई, सन् - 1959

प्रीत - मासिक पत्रिका                     -         जोधपुर, सन् - 1959

नीलम - मासिक पत्रिका                  -         दिल्ली, सन् - 1960

मधुबाला - मासिक पत्रिका              -         दिल्ली, सन् - 1960

मनोरंजन - मासिक पत्रिका              -         दिल्ली, सन् - 1962

रस नटराज - साप्ताहिक पत्रिका        -         मुंबई, सन् - 1963

कजरा - मासिक पत्रिका                  -         कानपुर, सन् - 1964

फिल्म अप्सरा, मासिक पत्रिका         -         दिल्ली, सन् - 1964

बबीता - मासिक पत्रिका                 -         दिल्ली, सन् - 1967

सिने पोस्ट - मासिक पत्रिका             -         दिल्ली, सन् - 1968

फिल्म रेखा - मासिक पत्रिका            -         दिल्ली, सन् - 1968

फिल्मी कलियाँ                              -         दिल्ली, सन् - 1968

फिल्मांकन - साप्ताहिक पत्रिका          -         मुंबई, सन् - 1969

सिने हलचल                                 -         अजमेर, सन् - 1969

अभिनेत्री                                      -         लुधियाना, सन् - 1970

फिल्म शृंगार - मासिक पत्रिका          -         दिल्ली, सन् - 1970

फिल्मी परियाँ - मासिक पत्रिका        -         लखनऊ, सन् - 1970

फिल्म संसार - मासिक पत्रिका          -         मेरठ, सन् - 1970

फिल्मी कमल - मासिक पत्रिका         -         मेरठ, सन् - 1970

फिल्म अभिनेत्री - मासिक पत्रिका     -         मेरठ, सन् - 1970

पूनम की रात - साप्ताहिक पत्रिका      -         जबलपुर, सन् 1970

चित्र किरण - साप्ताहिक पत्रिका        -         मुंबई, सन् - 1970

सिने हलचल - मासिक पत्रिका          -         दिल्ली, सन् - 1970

          इन फिल्मी पत्रिकाओं के अलावा मेनका, युग छाया, नव चित्र पट, राधिका, फिलमांजलि, छायाकार, प्रिया भी प्रकाशित हो रही हैं।

फिल्म से जुड़ी पत्रकारिता में-

     -    फिल्मी गतिविधियाँ

-    स्पॉट ब्वाय से लेकर एक्टर / डायरेक्टर से संपर्क सूत्र

-    फिल्मी हस्तियों के पीआर से संपर्क - इंटव्यू

-    प्रोडक्शन हाउस के पीआर विभाग से संपर्क सूत्र

-    सूचना प्रसारण अधीन फिल्म से जुड़ी विविध संस्थाएँ

-    जैसे सेंसर बोर्ड, फिल्मस डिवीजन, फिल्म निदेशालय, फिल्म सर्टिफिकेट आदि।

महत्वपूर्ण फिल्मी घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट समाचार बनते हैं। दर्शक चाहते हैं कि बड़ी घटनाओं के सम्बन्ध में उन्हें विस्तृत जानकारी प्राप्त होती रहे। अक्सर फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते समय या किसी विवादास्पद विषय से जुड़े मामलों पर पत्रकारवार्ता का आयोजन होता है, उससे भी खबरें निकलती हैं। फिल्मी जगत से जुड़े लोगों के इंटरव्यू भी महत्वपूर्ण अंग होते हैं। दर्शक अक्षर अभिनेता-अभिनेत्रियों के इंटरव्यू पढ़ते रहते हैं।

निष्कर्षतः हम यह कह सकते हैं कि आज हमारे समाज में फिल्म पत्रकारिता का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। आज के वर्तमान समय में इस क्षेत्र में काफी विकास हो चुका है। आज के दौर में हमें लगभग हर समाचार पत्र में भी फिल्मों पर आधारित लेख एवं इससे संबद्ध समाचार पढ़ने को मिल ही जाते है।


 

सैयद खालिदमोहंमद

पीएच.डी. शोधछात्र

स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग

सरदार पटेल विश्वविद्यालय

वल्लभ विद्यानगर

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  

2 टिप्‍पणियां:

  1. वर्तमान समय इलेक्ट्रोनिक संसाधनो का युग है तथा पत्रकारिता को आधुनिक तकनीको ने अपने अन्दर समेट कर रखा हे । अब एसे मे हर समाचार पत्रो मे एक एक कॉलम फिल्मो का भी होता हे । आज भी कई क्षेत्र एसे हे जहा पर आधुनिक तकनिक नही पहुंची हे । एसे मे केवल पत्रकारिता ही एक मात्र माध्यम हे जिसके जरियें जानकारी प्राप्त हो सकती है । अत: पत्रकारिता के अंतर्गत आपका ये लेख साहित्य जगत के साथ साथ अन्य क्षेत्रों मे भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है । इस लेख के माध्यम से आपने कई सारी एसी बातों पर भी प्रकाश डाला है जो वर्तमान समय में जरुरी हैं ।

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  2. भारत में इंटरनेट और सूचना के आधिकार ने आज की पत्रकारिता को बहुआयामी और अनंत बना दिया है। आज कोई भी जानकारी पलक झपकते ही उपलब्ध कराई जा सकती है। मीडिया आज काफी सशक्त स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। पत्रकारिता की पहूंच आज हर क्षेत्र में हो चुकी है। आपने फिल्म पत्रकारिता को लेकर बहूत ही सुंदर विश्लेषण किया है।
    आप ऐसे ही आगे बढ़ते रहें ऐसी सुभ कामनाओं के साथ 💐. खूब खूब आभार आपका 💐

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