मंगलवार, 4 जनवरी 2022

हाइकु



मकर संक्रांति

डॉ. पूर्वा शर्मा

1.

पतंग-सी मैं

पवन बन तुम

सहलाओ ना ।

2.

उड़ ही चली

जब बनके डोर

तुझसे जुड़ी ।

3.

लहरा रही

सुख-दुःख पतंग

प्रत्येक छत ।

4.

उम्मीद-माँझा

ख्वाहिशों की पतंग

जीवन यही ।

5.

डोर ना उड़े

पतंग के प्यार में

खींचती चले ।

6.

दुःख का माँझा

सुख की हवा चली

पतंग उड़ी ।

 


 

डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

 


9 टिप्‍पणियां:

  1. 👌🏻👌🏻👌🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻😊

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  2. पतंग के माध्यम से सरस एवं दार्शनिक भाव के सुंदर हाइकु।बधाई पूर्वा जी।

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  3. Didi... Bahot hi sundar likha hai aapne. Bahot inspire karte ho aap.

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  4. बहुत सुंदर, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं

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  5. पतंग पर सुंदर रचनाओं को पढ़कर मन आनंदित हो गया ।

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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