गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

कविता



डॉ. पूर्वा शर्मा


1.

क्यों मोहब्बत में दर्द है ज्यादा !

मिलन के पल कम और जुदाई बहुत ज्यादा ।   

2.     

इतने दूर हो हमसे, फिर भी जादू तुम्हारा कमाल

ग़र पास होते तो न जाने क्या होता हमारा हाल ! 

3.     

क्यों महोब्बत में इतनी बेबसी होती है

जो ज़िंदगी है, बस उसी से दूरी होती है 

4.     

उदय हुआ है सूरज फिर से, कलियों ने आँखें है खोली ।

भोर हुई है आज रंगीलीकानों गूँजी ज्यों तेरी बोली।।

5.     

एक ही मन था मेरा

तुमने उसे भी रख लिया अपने पास

अब इस बेमन को लेकर कहाँ जाऊँ

रख लो न तुम मुझे भी... अपने ही पास....

6.     

ज़माने भर की ख़बरे छपी थी अख़बार में

वो कैसे है हमारे बिन? बस इसी का जिक्र नहीं

किसी भी समाचार में....

7.     

यूँ तो शब्दों से घिरे रहते हैं

हरपल हम

लेकिन उनके सामने आते ही.....

निःशब्द...बेजुबां हो जाते हैं हम

8.     

ज्यों पहलू में आकर बैठे वो

मुस्कान ने ली अँगड़ाई

और मैं....

खुशी के आगोश में...

 

 


डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

12 टिप्‍पणियां:

  1. पूर्वा जी प्रेम की धारा में बहती कविताएँ हैं। सुंदर अनुभूतियाँ। बधाई।

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  2. वाह पूर्वा, मन की व्याकुलता को व्यक्त करती बहुत सुंदर कविताएं । अंतर्मन में उतरने वाली । आशीर्वाद और बधाई ।

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  3. पूर्वा कविता में तूकबंदी होना जरूरी है। तभी कविता सूनना और पढ़ना अच्छा लगता है।

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  4. पूर्वा कविता में तूकबंदी होना जरूरी है। तभी सूनना और पढ़ना अच्छा लगता है।

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  5. बहुत सुंदर क्षणिकाएँ पूर्वा जी, विशेषतः ज़माने भर की खबरें छपी...!आपको अनेकों बधाई।

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  6. बहुत सुंदर सृजन।बधाई पूर्वा जी।

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  7. बहुत प्यारी रचनाएँ !
    हार्दिक बधाई पूर्वा जी 💐

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  8. अच्छी कविता है। शुक्रिया 💐

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  9. बहुत खूब प्रिय पूर्वा जी... बधाई!

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