भाई
दूज
डॉ.
अनु मेहता
भाई-बहन
का अमर-अटूट अनमोल प्यार है भाई दूज,
स्नेह
की सतत बहती ये निर्झर रसधार है भाई दूज।
प्रीत
की डोरियाँ और मोह से रँगे धागे हैं भाई दूज,
दिलों
के इन रिश्तों को बड़े प्यार से बाँधे है भाई दूज।
अपने
मायके की देहरी का दृढ़ विश्वास है भाई
दूज,
पुनीत-पावन-शुभ और सुंदर एहसास है भाई दूज।
दीर्घ
और स्वस्थ जीवन की अभिलाषा है भाई दूज,
भाई
से स्नेह और सहयोग
की आशा है भाई दूज।
अक्षत
चंदन कुमकुम का अक्षय तिलक है भाई दूज,
संवेदनाओं का
विशिष्ट-विशाल फलक है भाई दूज।
बहन
की लाखों दुआएँ और भाई की मन्नतें हैं भाई दूज,
संबंधों
की दौलतें और रिश्तों की बरकतें हैं भाई दूज।
भारतीय
संस्कृति का सुंदर-सजीला उपहार है भाई दूज,
भाई-बहन
के प्रेम का मंगल पर्व-त्योहार है भाई दूज ।।
डॉ.
अनु मेहता
आणंद
इंस्टीट्यूट ऑफ पी.जी स्टडीज इन आर्ट्स,
आणंद, गुजरात
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएं