शनिवार, 19 जून 2021

आलेख

 


रोजमर्रा के जीवन में योग का महत्त्व

मीता पटेल

           ऐसा कहते हैं कि “जान है तो जहान है” इस कहावत से हम सब अच्छी तरह से परिचित हैंलेकिन लोग इस कहावत को बहुत ही साधारण रूप से लेते हैं कहने का मतलब स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य संबंधित है। यानी कि अगर हमारा स्वास्थ्य ठीक है तो हम हमारा जीवन बहुत ही अच्छे तरीके से व्यतीत कर सकते हैं।

        यहाँ स्वास्थ्य का संबंध महज शारीरिक स्वास्थ्य से ही नहीं है परंतु संपूर्ण स्वास्थ्य अर्थात् कि शारीरिकमानसिकबौद्धिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का भी उसमें समावेश होता है।

संपूर्ण स्वास्थ्य पाने के लिए हमारे दैनिक जीवन में योग का अभ्यास बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुआ है। योग इतना गहन विषय है कि उसे समझने में पूरा जीवन भी कम पड़ जाएलेकिन हम यहाँ सिर्फ इतना समझे कि हमारे जैसे आम इंसान के जीवन में योग किस तरह से महत्वपूर्ण है। आजकल की भाग-दौड़ की जिंदगीकाम का दबावआर्थिक और सामाजिक तकलीफें आदि समस्याओं से मानसिक स्वास्थ्य को असर होता है। लोगों के जीवन में तकलीफें बढ़ी हैं। ऐसे में योग की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हुई है।

योग कोई शारीरिक कसरत नहीं है और योग से कोई रोग दूर होगाइस तरह का कोई दावा भी हम नहीं कर सकते।

        योग ये मनो दैहिक अनुशासन हैजो कि समग्र सिद्धांत के ऊपर काम करता है। उसका ध्येय ना ही सिर्फ शारीरिक तकलीफों को दूर करना हैलेकिन शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित और सामंजस्य बनाने के साधन के रूप में योग को लिया जाता है। रोजमर्रा के जीवन में योग को अपनाने से संपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त हो सकता है। इंसान सेहतमंद जरूर हो सकता है। योगाभ्यास से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है। तनाव से मुक्ति मिलती है। मांसपेशियाँ सुदृढ़ बनती है। प्राण शक्ति बढ़ती है। नाड़ी तंत्र संतुलित होता है। असंतुलित जीवन शैली या मनोदैहिक और भावनात्मक समस्याओं से शरीर में ऊर्जा की जो रुकावटें होती है वो दूर होती हैं। सही तरीके से योगाभ्यास करने से शरीर में रक्त का परिभ्रमण बढ़ता हैजिससे शरीर में संचित विषद्रव्य दूर होते हैंकोशिकाओं को पोषण मिलता हैजोड़ों को खोलकर स्नायुओं में सुधार आता हैऔर मन शांत होता है।

योगाभ्यास में सफलता के लिए नियमित अभ्यासअनुशासनसमय और धैर्य आवश्यक है। योगाभ्यास के दौरानकुछ बातों का खयाल होना चाहिए। यानी कि सावधानी पूर्वक करना चाहिए। हमें ध्यान से और समझकर करना चाहिए। योगाभ्यास सही तरीके से करना अत्यंत आवश्यक हैनहीं तो नुकसान भी हो सकता है। योगाभ्यास कभी भी किताबों में पढ़ कर या टी.वी. के माध्यम से नहीं किया जा सकता। कुछ जरूरी सूचनाएँ ऐसी होती हैं कि योग की हर एक क्रिया हर एक इंसान के लिए उपयुक्त नहीं है। हमेशा अपने शरीर को सुनना चाहिए। योग एकाकी विद्या है।

          जो लोग पहली बार अभ्यास शुरू कर रहे हैंउनके लिए वार्म-अप क्रियाएँ जरूरी है। वार्म क्रिया करने से शरीर के स्नायु और जोड़ों को तालीम मिलती है। और फिर धीरे-धीरे योग के प्रारंभिक अभ्यास से लेते हुए मध्यवर्ती स्तर और फिर उच्च स्तर का अभ्यास करना चाहिए। 


मीता पटेल

(पूर्व योग शिक्षिका)

पेन्सल्वेनिया, अमेरिका


2 टिप्‍पणियां:

फरवरी 2025, अंक 56

  शब्द-सृष्टि फरवरी 202 5 , अंक 5 6 परामर्शक की कलम से : विशेष स्मरण.... संत रविदास – प्रो.हसमुख परमार संपादकीय – महाकुंभ – डॉ. पूर्वा शर्...