रविवार, 25 अप्रैल 2021

विचार स्तवक

 






पराजय क्षणिक है, इसे सनातन बनाती है हताशा |

– लॉगफेलो

मैं ऐसे धर्म को मनाता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारा सिखाता है |

– डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर

नष्ट हुआ वैभव शरीर द्वारा पुनः प्राप्त किया जा सकता है लेकिन क्षीण हुआ शरीर वैभव द्वारा पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता |

– संस्कृत सुभाषित

मनुष्य में देव और दानव दोनों का अस्तित्व है | देवता की प्राण प्रतिष्ठा और दानव का नाश करने के लिए चलने वाला संघर्ष ही मानव जीवन है |

– जार्ज बर्नार्ड शॉ 


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा और सराहनीय कार्य किया है। मुझे पढ़ने में बहुत अच्छा लगा । मेरी सलाह है कि आप और ज्यादा विषयों पर कार्य करें ।

    नाम : सफीमहंमद चावडा (रोशन मेमोरियल हाईस्कूल, वडोदरा)

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  2. सुन्दर अंक हेतु हार्दिक बधाई पूर्वा जी।

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  3. बहुत सुंदर अंक। हार्दिक बधाई पूर्वा जी।

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अप्रैल 2024, अंक 46

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