वैश्विक
स्तर पर हिन्दी
शिष्ट,
विशिष्ट और मिष्ठ स्वभाव वाली हिन्दी अपने सत्यम् शिवम सुंदरम रूप के
साथ उदारता, समाहार शक्ति,
विशाल
शब्द भंडार, वैज्ञानिक लिपि आदि अनेक
विशेषताओं के कारण भी विश्व भर में लोकप्रिय एवं उपयोगी सिद्ध हो रही है। पाँच उपभाषाओं और 17
बोलियों
को अपने में समाविष्ट किए हुए यह हिन्दी भाषा अपने भीतर अपार संभावनाओं को
समेटे हुए राह में आने वाली तमाम चुनौतियों और संघर्षों का सामना करते हुए बहुत
तेजी से विश्व मानचित्र पर अपना नाम अंकित करवा रही है।
हिन्दी महज़ एक भाषा नहीं
है, राष्ट्र की पहचान है,
हमारी
अस्मिता और सम्मान है।
यह
हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों की सच्चे संवाहक, प्रेषक और परिचायक है। राष्ट्रभाषा
भावात्मक एकता तथा राष्ट्रीय विकास की अनिवार्यता है। यह
सामर्थ्य, समाहार, स्वीकार, संबंध, संस्कृति- सभ्यता और विकास की भाषा है। पूरी
दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीन भाषाओं में चीनी, अंग्रेजी, हिन्दी में से यह भाषा एक
है।
हिन्दी विश्व के करीब 150
से अधिक विश्वविद्यालय
में पढ़ाई जाती है।
इसमें 11
विश्व
हिन्दी सम्मेलन हो चुके
हैं ।
11 वाँ सम्मेलन तो वर्ष 2018
अगस्त
में मॉरीशस में हुआ है।
विश्व
की उन्नत भाषाओं में इसकी गिनती की जाती है।
हिन्दी का क्षेत्र बहुत
विस्तृत है।
ये जनआंदोलनों की भाषा है, साहित्य
और विमर्श की भाषा है, भावों की अजस्र सरिता है,
प्रौद्योगिकी
की भाषा है, वैश्वीकरण की आशा है, साहित्य-संस्कृति
का श्रृंगार है, प्यार-दुलार की भाषा है। इतना
ही नहीं देश-दुनिया के बाजार और व्यापार में है हिन्दी, फिल्म
और इश्तेहार में है हिन्दी
,जनसंपर्क और लोक
संवाद की भाषा है हिन्दी,
वेदना
और संवेदना की परिभाषा है हिन्दी ,
विश्व
में परचम लहरा रही है हिन्दी, भारत का डंका बजा रही है हिन्दी।
भूमंडलीकरण
और वैश्वीकरण के दौर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी एक महत्वपूर्ण
भाषा के रूप में उभरी है।
इस
समतल दुनिया में अपनी गति से चलती हुई हिन्दी भाषा सशक्त संपर्क भाषा और राजभाषा
होने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही
है। विश्व हिन्दी
के महत्व को गंभीरता से महसूस कर रहा है। विश्व के अधिकांशत: लोग हिन्दी भाषा तथा इस भाषा
के माध्यम से हमारी संस्कृति पर शोध कर रहे हैं। हिन्दी दुनिया की सर्वाधिक
तीव्रता से प्रसारित होने वाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी पूरे भारत तथा
दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका, मॉरीशस,सूरीनाम ,फीजी, गाना, मलेशिया, त्रिनिदाद,
नेपाल में बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा
बनाने का प्रयत्न जारी है।
हम
सभी जानते है कि वैश्विक स्तर पर विश्व मंच पर हिन्दी का प्रचार- प्रसार
बहुत तेजी से हो रहा है, इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं जिनमें सूचना-विस्फोट
और तकनीकी क्रांति का आगाज़, हिन्दी
भाषा और साहित्य का प्रौद्योगिकी से जुड़ना ,
हिन्दी साहित्य की महत्वपूर्ण
कृतियों का विभिन्न भाषाओं में अनूदित होकर देश- दुनिया तक पहुँचना,
प्रतिष्ठित
साहित्यकारों और नए कलमकारों का हिन्दी भाषा में सृजन-लेखन,
इंटरनेट
और सोशल मीडिया की दुनिया में में हिन्दी का बढ़ता दायरा,
फिल्मों,
टेलीविजन,
विविध
चैनलों एवं विज्ञापनों के क्षेत्र में हिन्दी का बेहद लोकप्रिय होना,
हिन्दी की विविध वेब
पत्रिकाएँ,
वेब
साइट्स एवं ब्लॉग्स का तेजी से लोगों तक पहुँचना,
अंग्रेजी
की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, चैनल
आदि का हिन्दी
ने प्रस्तुत होना शामिल हैं।
साथ
ही हिन्दी
के प्रचार-प्रसार में सरकार के प्रयास, विविध
प्रकार के हिन्दी
सॉफ्टवेयर्स का निर्माण एवं उपयोग, विविध
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार के लिए हिन्दी को जानना समझना अनिवार्यता, विदेश के कई
विश्वविद्यालयों में हिन्दी
को पढ़ाया जाना, विश्व
हिन्दी सम्मेलनों का आयोजन,
विदेशों
में बसने वाले भारतीयों का अपनी हिन्दी भाषा के प्रति लगाव,
विविध
कारणों से विदेशों में रहने वाले लोगों द्वारा हिन्दी में बोलने- समझने
की आतुरता, देश-
विदेशों के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध, आदि
ऐसे बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से हिन्दी बहुत तेजी से मात्र देश की संपर्क और
राजभाषा तक सीमित ना होकर विश्व भाषा के रूप में उभर रही है एवं विश्व में अपना
सुनहरा इतिहास कायम करने जा रही है। ऐसी
बेमिसाल भाषा हिन्दी
पर हम सब को नाज़ है।
डॉ. अनु मेहता
प्रभारी
आचार्या एवं विभागाध्यक्षा (हिन्दी)
आणंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ पी.जी स्टडीज इन आर्ट्स,
आणंद
वैश्विक स्तर पर हिंदी की स्थिति एवम महत्व को रेखांकित करता बहुत सुंदर आलेख।डॉ०अनु मेहता जी को बधाई।
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