गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

शब्द संज्ञान

 

आलय, वास, गृह, गेह : Dwelling / घर : Home / धाम, निकेतन, निवास : Residence / प्रवास: Domicile/ बसेरा : Abode / मकान : House

उपर्युक्त समस्त शब्द ऐसी वास्तु-रचनाओं के द्योतक हैं जो लोगों के रहने और बसने के लिए बनायी जाती हैं। यह भव्य और विशाल भी हो सकती हैं, छोटी और सीधी-सादी भी। यह मनुष्य के स्थायी रूप से रहने के काम भी आ सकती है, अस्थायी रूप से भी।

इनमें सबसे सामान्य शब्द मकान है  जिसका अर्थ है – रहने का स्थान । स्थान कच्चा हो, पक्का हो; स्थायी हो, अस्थायी हो, अपना हो, किराये का हो – हर प्रकार से उसे मकान ही कहते हैं। जहाँ कोई व्यक्ति सामान्य रूप से रहता हो, वह उसका मकान है।

घर अधिक व्यापक शब्द है। घर में स्थायित्व का भाव रहता है। कभी हम कहते हैं कि ‘हम पिछले बीस वर्ष से बनारस में रहते हैं किन्तु हमारा घर मुरादाबाद में है।’ यहाँ पर घर से मतलब है जन्म स्थान का । इसमें एक विवक्षा यह भी है कि हम स्वयं तो बनारस में रह रहे हैं किन्तु हमारे कुटुम्ब के कुछ अन्य प्राणी – भाई, भतीजे –  अब भी मुरादाबाद में ही रहते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि  मुरादाबाद में हमारा निजी मकान हो ही, किन्तु यह आवश्यक है कि अपने कुल के कुछ सदस्य अभी भी वहाँ विद्यमान हो ।

घर के कुछ व्युत्पन्न अर्थ भी हैं। कभी यह उस स्थान का द्योतक होता है जहाँ कोई कार्य होता है, जैसे – तारघर, डाकघर, पुतलीघर, रसोईघर।

घर का एक अर्थ डिब्बा या चोंगा भी होता है, जैसे-चश्मों का घर, चूड़ियों का घर।

आड़ी, बेड़ी, तिरछी रेखाओं से घिरा हुआ स्थान भी घर कहलाता है, जैसे शतरंज की बिसात में चौंसठ घर होते हैं।

घर उस स्थान को भी कहते हैं जहाँ कोई वस्तु प्रचुरता से पायी जाती है, जैसे-दरभंगा आम का घर है। इसी से मिलता-जुलता अर्थ इस वाक्य में है – यह गली बदमाशों का घर है।

घर उत्पत्ति-स्थान अथवा उद्गम को भी कहते हैं, जैसे – ‘खाँसी सब रोगों की जड़ है, और हँसी लड़ाई का घर है।’

घर कभी-कभी किसी घर के सब प्राणियों को भी इंगित करता है, –  जैसे प्लेग में घर-का-घर तबाह हो गया।

इससे भी व्यापक अर्थ तब होता है जब घर किसी पूरे कुटुम्ब अथवा घराने को सूचित करता है, जैसे- लड़की अच्छे घर में देना।

मनुष्यों के निवास स्थान के अतिरिक्त कभी-कभी घर पशु-पक्षियों के रहने की जगह का भी द्योतन करता है, जैसे – चूहे जमीन में अपना घर बनाते हैं और चिड़ियाँ पेड़ों पर ।

सीख वाको दीजिए, जाको सीख सुहाय

सीख न दीजै बाँदरा, कि घर बए का जाय ।।

अर्थ तो आलय का भी घर ही है किन्तु यह शब्द किसी ऐसे भवन अथवा स्थान के लिए प्रयुक्त होता है जहाँ किसी विशिष्ट कार्य का सम्पादन होता हो अथवा विशिष्ट प्रकार के व्यक्ति रहते हों अथवा विशिष्ट प्रकार का वस्तु भण्डार हो, जैसे –चिकित्सालय, औषधालय, छात्रालय, अनाथालय, हिमालय, मेघालय।

बहुधा आलय का प्रयोग ऐसे मंदिरों के लिए होता है जहाँ कोई देवता प्रतिष्ठित हो, जैसे –शिवालय, देवालय।

प्रवास में अस्थायित्व का भाव है, निवास में स्थायित्व का । कुछ लोग अपना जन्मस्थान छोड़कर कुछ दिन के लिए सामान्यतः जीविकोपार्जन के लिए, दूसरे नगर, प्रदेश अथवा देश चले जाते हैं। ऐसे लोग प्रवासी कहलाते हैं।

गृह संस्कृत का शब्द है। इससे ही गेह व्युत्पन्न हुआ है। इन दोनों का अर्थ घर ही है, और घर शब्द भी गृह का ही तद्भव रूप है। आवास का भी यही अर्थ है, किन्तु गेह और आवास का प्रयोग कम होता है।

धाम और निकेतन का भी अर्थ तो घर अथवा मकान ही है, किन्तु प्रयोग में निकेतन कवित्व-मय भाषा में आता है। धाम बड़े देवस्थान अथवा तीर्वस्थान के लिए प्रयुक्त होता है। भारत देश के चार धाम प्रसिद्ध हैं – बदरीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम्, जगन्नाथ पुरी। परम धाम का प्रयोग स्वर्ग के लिए होता है।

बसेरा का अर्थ है- मार्ग में टिकने का स्थान । पुराने समय में दूर की यात्रा भी बैलगाड़ियों से ही होती थी, जिसमें कई दिन लगते थे। दिन-भर चलते थे, रात को कहीं पर बसेरा करते थे जब बरातें जाया करती थीं, जाने और लौटने में कई-कई सप्ताह लग जाते थे। भोजन की सामान्य वस्तुएँ इतने दिन टिक नहीं सकती थीं। इसीलिए पकवान बनाने की प्रथा चली जो बहुत दिन तक खाने योग्य रहता है।

बड़े-बड़े नगरों में कुछ स्थान ऐसे बनाये जा रहे हैं, जहाँ गरीब लोग निःशुल्क रात बिता सकें। ऐसे स्थानों को रेन बसेरा कहते हैं।

चिड़ियाँ रात को अपने-अपने घोंसलों में बसेरा करती हैं । बहुधा हमारी कविता में मनुष्य-जीवन की तुलना पक्षियों के बसेरे से की जाती है, यथा –

ना घर तेरा, ना घर मेरा, पंछी रैन बसेरा रे!

'शब्द चर्चा'  पुस्तक से (लेखक – ब्रजमोहन) 

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