इंद्र
कुमार दीक्षित
खुद
पर न है भरोसा, अविश्वास सा क्यूँ है
दुनिया
में हर इंसान बदहवास सा क्यूँ है।।
जेहन
में भरा धूल-धुआँ, ईर्ष्या-द्वेष ,डर
आँखों
मेंजलन,धुंध–ए–आकाश सा क्यूँ है।।
अरबों
खरब लुटा रहे ऐशो आराम पर
फिर
नींद न आना यहाँ अभ्यास सा क्यूँ है।।
आबो-हवा
में घुल गई है ऐसी सियासत
जो
बोलते सब लग रहा बकवास सा क्यूँ है
इंसानियत
की राह इतनी मुश्किलात क्यों
हैरान
है हर शख्स ये अहसास-सा क्यूँ है।।
इंद्र
कुमार दीक्षित
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मुंसिफ कालोनी
रामनाथ
- देवरिया(उत्तरी) - 274001
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