मुश्किल
मीनू बाला
एक दिन मैंने मुश्किल से पूछा कि तुम इतनी मुश्किल क्यों हो
?
क्यों डरते हैं लोग तुमसे तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो ?
नाम है तुम्हारा मुश्किल, और तो तुम्हारे बारे में कहना ही क्या !
क्यों टूट जाते हैं लोग तुम्हारे भीतर आने से ही,
तुमने ऐसा कुछ पहना है क्या ?
शारीरिक कष्ट, पीड़ा, मानसिक उलझनें इन
सबसे हमें डराती क्यों हो?
सीधे चलते हुए जीवन
में,
न जाने कहाँ से आ
जाती तुम हो?
क्यों डरते हैं लोग तुमसे, तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो?
एक दिन मैंने मुश्किल से पूछा कि तुम इतनी मुश्किल क्यों हो?
मुझे लगता है तुमने भी अपने जीवन में काफी कुछ सहा होगा,
कड़कती धूप में अवश्य ही, तुम्हारा भी श्वेत बहा होगा।
तुम्हारा भी कोई अपना तुम्हें छोड़कर कहीं दूर गया होगा।
इस जीवन की पीड़ाओं को, यातनाओं को तुमने भी सहा होगा।
सुनकर मेरी इन बातों को मुश्किल भी मुस्कुरा पड़ी।
हॅंस कर बोली चलो आज किसी ने तो मेरी परिभाषा गढ़ी।
नाम है मेरा मुश्किल काम है मेरा कठोर
प्रत्येक के जीवन मेंआती हूँ हिलाने उसका दौर।
घबरा जाते हैं लोग नाम मेरा सुनते ही
छोड़ देते हैं हिम्मत अपनी,अपने ख्यालों को बुनते ही।
जब भी मैं किसी के जीवन में आती हूँ, इंसान को उसकी सच्चाई से परिचित करवाती हूँ
अपने पराये का अंतर बताकर व्यक्ति को और परिपक्व बनाती हूँ
।
जो हार जाते हैं मेरे सामने ,वहाँ मैं अपना बल दिखाती हूँ
परंतु जो करते हैं डट कर मेरा सामना,
उनके सामने मैं नतमस्तक हो जाती हूँ
जो रखते हैं अपनी सोच ऊँची, कर्म सीधे,उनके सामने में घुटने टेक जाती हूँ ।
ऐ इंसान मुझसे मत घबरा,मैं तो प्रत्येक के जीवन में आती हूँ जाती हूँ।
एक दिन मैंने मुश्किल से पूछा कि तुम इतनी मुश्किल क्यों हो?
क्यों डरते हैं लोग तुमसे तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो ?
***
मीनू बाला
हिंदी शिक्षिका
राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय
39 सी,
चंडीगढ़
84 फेज़ 6 मोहाली 160055
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