संपादकीय
अज्ञान-अंधकार तथा ज्ञान-प्रकाश उभय शब्दयुग्मों में शब्दों
की परस्पर प्रतीकात्मकता सर्वविदित है। इसी प्रतीकात्मकता के संदर्भ में उक्त
शब्दों को पढ़ते-गुनते समय हमारे मन- मस्तिष्क में, हमारी चेतना में भारतीय मेधा के कतिपय महान सूत्र-मंत्र का
सहज स्मरण स्वाभाविक है। यथा – ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’
‘आरोह तमसो
ज्योति:’ ‘अप्प दीपो भवः, ‘अंधकार से जुझना है!’,
‘अंधकार पर
प्रकाश की जीत’ प्रभृति, जो हमें प्रकाश की ओर, चेतना के संचार हेतु, ज्ञान की दिशा में अग्रसर होने,
संवेदना-मनुष्यता को ज्यादा बलवती बनाने के लिए प्रेरित
करते हुए अंधकार से, अज्ञान से, अमानवीयता से जुझने का, संघर्ष करने का बल प्रदान करते हैं।
वैसे दीपोत्सव है उजालों का महोत्सव । और इस पावन पर्व पर
दीपमालाओं का, प्रकाश का और अमावस्या के घने अंधेरे को छँटने अगणित दीपों के ज्योतिपुंज की
महत्ता व प्रासंगिकता, उसकी प्रतीकात्मकता के साथ और समय की अपेक्षा बहुत ही
ज्यादा,
मतलब पूर्णतः रहती है। जबकि ज्ञान-अज्ञान और अज्ञान को दूर
कर ज्ञान की प्राप्ति की बात तो सदैव पूरी तरह से आवश्यक व प्रासंगिक । हाँ,
ऊपर उल्लेखित प्रतीकात्मकता की दृष्टि से उक्त दोनों
संदर्भों की चर्चा ‘दीपोत्सव’ पर कुछ ज्यादा ही रही है।
‘शब्द सृष्टि’ का यह 52 वाँ अंक आप सुधी पाठकों के सम्मुख ठीक ‘आलोक पर्व’ के अवसर पर ही प्रस्तुत है। प्रस्तुत अंक विशेषतः
ज्ञान-विज्ञान, दर्शन-चिंतन से संदर्भित विषय वस्तु को लेकर है। अंक की इस विषय सामग्री को
लिखने एवं संकलित-संपादित करने में इस बार ‘शब्द सृष्टि’ के परामर्शक तथा मेरे शोध-समीक्षा कार्य के
कुशल मार्गदर्शक आदरणीय प्रो. हसमुख परमार जी का भी बहुत ही ज्यादा सहयोग रहा एतदर्थ ‘सर’ का आभार।
अंत में, इसी आशा के साथ कि प्रस्तुत ‘विशेषांक’
आपको पसंद आएगा । आपको पुनः एक बार ‘आलोक पर्व’ की अशेष मंगलकामनाएँ।
***
डॉ. पूर्वा शर्मा
जन्म : 5 अक्टूबर, 1978 इंदौर
(म.प्र.)
शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी. (हिन्दी), डिप्लोमा इन आर्किटेक्चर, कंप्यूटर एवं
वास्तु में सर्टिफिकेट कोर्स, योग शिक्षक कोर्स
सृजन-लेखन-प्रकाशन :
• 4 पुस्तकें
• 36 शोध आलेख
• 17 पुस्तक समीक्षा
• विविध पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कविता,
हाइकु, ताँका, चोका, सेदोका, माहिया, हाइबन, क्षणिका,
लघुकथा, संस्मरण आदि से संबंधी अनेक रचनाएँ प्रकाशित
• यू ट्यूब चैनल ‘शब्द चितेरे’ एवं ‘कचनार’ से अनेक हाइकु और
क्षणिकाओं का प्रसारण।
सम्प्रति :
‘शब्द सृष्टि’ वेब पत्रिका
(ब्लॉग – https://shabdsrushtihindi.blogspot.com/)
का संपादन
मेम्बर ऑफ़ बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़ – एन. एस. पटेल आर्ट्स कॉलेज,
आणंद (गुजरात)
संपर्क : 201 एरीज-3, 42 यूनाइटेड कॉलोनी, नवरचना स्कूल के पास,
समा, वड़ोदरा - 390 002 (गुजरात)
चलभाष : 09428174255
ई-मेल : purvacsharma@gmail.com एवं purvac@yahoo.com
***
प्रो. हसमुख परमार
जन्म : 27 जनवरी, 1975 बड़ौदा जिले
के करजण तहसील का एक गाँव- देथाण(गुजरात)
शिक्षा : एम. ए. , पीएच.डी., नेट
लेखन-प्रकाशन :
• 9 पुस्तकें
• 50 शोध आलेख
शोध निर्देशन :
• पीएच. डी. - 5
• 8 पीएच. डी. शोधार्थी कार्यरत
• एम. फ़िल. - 45
सम्प्रति : सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ विद्यानगर (गुजरात) के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर
(फरवरी 2002 से)
विशेष :
परामर्शक : ‘शब्द सृष्टि’ वेब पत्रिका
(ब्लॉग – https://shabdsrushtihindi.blogspot.com/
)
विभाग एवं विश्वविद्यालय की विविध अकादमिक समीतियों में सदस्यता
संपर्क : डी- 43, यूनिवर्सिटी स्टाफ़ कॉलोनी,
वल्लभ विद्यानगर – 388120
(गुजरात)
चलभाष : 09909035053
ई-मेल : hmparmar1975@gmail.com
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें